देहरादून/ इंफो उत्तराखंड
उत्तराखंड से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार अधाना एक बार फिर विवादों के घेरे में फंस गए हैं। वहीं उन्हीं के द्वारा एक साल में दो डिग्रियां ले ली गई है, और साथ ही दोनों जगह से वेतन उठाकर सरकारी खजाने को चूना लगाने का भी काम किया गया है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व तथाकथित कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार अधाना द्वारा फर्जी तरीके से एक ही सत्र 1999 में कानपुर विश्वविद्यालय से बी०ए०एम०एस० अन्तिम वर्ष व गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार से 1990 में एक वर्षीय पी०जी० डिप्लोमा इन योगा दोनो ही संस्थागत छात्र के रूप में करने के कारण दोनो उपाधि निरस्त कर विधिक कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में आदेश जारी किए गए हैं।
कुलसचिव डॉ० मृत्युजय कुमार, आयुष उत्तराखण्ड शासन देहरादून से ईमेल द्वारा एक पत्र प्राप्त हुआ है, जो कि कुलपति हे०न०ब०ग०वि०वि० को सम्बोधित है, जिसमे निम्न बिन्दु पर आख्या प्रेषित की जानी है :-
वर्ष 2005 में भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तर प्रदेश से प्राप्त निधन सख्या-47761 के आधार पर राजेश कुमार पुत्र नगीना सिंह द्वारा उत्तराखण्ड में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में संविदा पर डाक्टर के रूप में नौकरी प्राप्त किया गया और नौकरी में कार्यरत रहते हुये ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार एच०एन०डी० गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर से एम०डी० आयुर्वेद अनुक्रमांक 642195 नामांकन संख्या-03623665 वर्ष 2005 में नियमित संस्थागत (Regular Student) के रूप मे पंजीकरण कराकर उपाधि प्राप्त करना पूर्णत अविधिक था।
इस दौरान इनके द्वारा राज्य कोषागार से दो-दो स्थानो से एक साथ एक संविदा डॉक्टर के पद का वेतन व एक एम०डी० छात्र के रूप में छात्र देतन) प्राप्त कर राजकोष का गबन किया है। इस प्रकार का फर्जीवाड़ा करने की जांच व वसूली की आवश्यकता है।
राजेश कुमार द्वारा उत्तराखण्ड में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में संविदा पर डॉक्टर के रूप में कार्यरत रहते हुये पिकूल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार (एच०एन०बी० गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर) से एम०डी० आयुर्वेदिक पाठ्यक्रम करने के लिये कोई अनुमति अनापत्ति या अवकाश शासकीय अभिलेखानुसार प्राप्त नहीं है।
एम०डी० आयुर्वेद की उपाधि भी निरस्त करने योग्य है जिसकी जाँच की आवश्यकता है। इस सम्बन्ध में आपको अवगत करवाना है कि छात्र/छात्राओं के प्रवेश सम्बन्धित सम्पूर्ण प्रक्रिया (जैसे छात्र उपस्थिति पंजिका, अवकाश लेखा-जोखा आदि ) महाविद्यालय द्वारा सम्पन्न की जाती है।
विश्वविद्यालय द्वारा केवल उन्ही छात्र/छात्राओं की परीक्षा करवायी जाती है, जिनका सत्यापन महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा किया जाता है।
अंत उक्तानुसार प्रकरण पर अपनी सुस्पष्ट आय्या इस पत्र प्राप्ति के 15 दिवस के अन्तर्गत अधोहस्ताक्षरी को शीर्ष प्राथमिकता पर उपलब्ध करवाए ताकि प्रकरण पर अग्रेतर कार्यवाही की जानी सम्भव हो सके।
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