सलुड डूंगरा गांव में विश्व सांस्कृतिक धरोहर रम्माण आयोजित
ज्योतिर्मठ। ज्योतिर्मठ क्षेत्र के सलुड डूंगरा गांव में लोक संस्कृति परंपरा का कुंभ विश्व सांस्कृतिक धरोहर रम्माण मेला आयोजित किया गया।
ज्योतिर्मठ प्रखंड के सलूड डुंगरा की 500 वर्ष पुरानी रम्माण विरासत का सजीव मंचन आज अक्षय तृतीया पर्व पर ज्योतिर्मठ क्षेत्र के विश्व सांस्कृतिक धरोहर “रम्माण”लोक सांस्कृतिक विरासत उत्सव का आगाज मेजबान गांव सलूड डूंगरा में बड़े ही धूम धाम से हो गया है।
पैन खंडा छेत्र की प्राचीन मौखोटा शैली और भलदा परम्परा और उत्तराखंड की लोक कला संस्कृति को आज भी जीवंत बनाए हुए “रम्माण उत्सव” भूमियाल चौक सलूड डुंगरा गांव में श्री राम कथा को जागर शैली में नृत्य नाटिका के माध्यम से सजीव मंचन वाला यह विश्व सांस्कृतिक विरासत लोक संस्कृती को संजोने वाला उत्सव ढोल दमों की थाप और रण सिंघे बाजा भोंकारे की गूंज के साथ शुरू हो गया है, जो आज रात परंपरा अनुसार भूम्याल मंदिर क्षेत्रपाल देवता के परिसर में 18 मुखौटा की विशेष पूजा अर्चना के साथ भूमियाल देवता द्वारा सभी ग्राम वासियों को सुख समृद्धि और खुशहाली के आशीष देने के साथ सम्पन्न होगा।
अपनी अमूर्त लोक संस्कृति और परम्परा के चलते यूनेस्को की यह विश्व सांस्कृतिक धरोहर आज देश विदेश तक हर एक व्यक्ति के दिलों में रच बस गई है,इस ऐतिहासिक पौराणिक सांस्कृतिक “रम्माण”को जीवंत रखने के प्रयासों से ही वर्ष 2009 में इसे यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक विरासत का दर्जा मिला है।

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