“अंकिता भंडारी हत्याकांड: न्याय पर सवाल और जनता का आक्रोश” – जब तक दोषी फांसी पर नहीं चढ़ते, स्वाभिमान मोर्चा चुप नहीं बैठेगा!
आज गढ़वाल के चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार, उपाध्यक्ष त्रिभुवन चौहान, एवं मोर्चा की पूरी टीम कोटद्वार न्यायालय परिसर के बाहर न्याय की मांग को लेकर डटी रही।
पुलिस की चाकचौबंद सुरक्षा, जगह-जगह बैरिकेडिंग, और कोर्ट परिसर में प्रवेश पर रोक के बावजूद, मोर्चा के बॉबी पंवार, त्रिभुवन चौहान, संजय सिलस्वाल, दिनेश चंद मास्टर, विकास रयाल, आदि पुलिस के घेरे के एकदम नजदीक पहुंच गए थे।
पुलिस ने जब बॉबी पंवार, त्रिभुवन चौहान, दिनेश चंद मास्टर, हिमांशु रावत, कुसुम जोशी, मनोज कोठियाल, विकास रयाल, संजय सिलस्वाल, प्रमोद काला समेत कई सदस्यों को आगे बढ़ने से रोका,
तो बहस और नोंकझोंक की स्थिति भी बनी, इसके बावजूद, बॉबी पंवार और त्रिभुवन चौहान ने पुलिस का घेरा तोड़ते हुए बैरिकेडिंग पार की, और दोषियों को फांसी की मांग कर फैसले का कड़ा विरोध दर्ज किया ।
गौरतलब है कि हत्याकांड के निर्णय पर आज कोटद्वार की विशेष अदालत द्वारा दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
उधर बॉबी पंवार ने इस फैसले के बाद कहा कि “यह उम्रकैद की सज़ा एक राजनीतिक षड्यंत्र है दोषियों को बचाने की कोशिश है। आखिर वो VIP कौन है, जिसका नाम लेने में न्यायपालिक भी कटरा रही है?
जब तक नाम सामने नहीं आता, और जब तक दोषियों को फांसी नहीं होती – उत्तराखंड में मोर्चा का आंदोलन चलता रहेगा।”
त्रिभुवन चौहान ने आक्रोश जताया कि पूरे उत्तराखंड के साथ साथ देश की निगाहें इस फैसले पर टिकी थीं —
हर माँ, हर बेटी और हर जागरूक नागरिक की साँसें थमी थीं। लेकिन अदालत से आई सजा ने इस भरोसे को फिर हिला दिया। उम्रकैद की सजा नाकाफी है, उन्होंने सिस्टम पर सवाल किया कि क्या यह फैसला उस निर्दोष बेटी की जिंदगी की कीमत है ? क्या यह न्याय का अंतिम शब्द होगा?
फैसले के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पुतला फूंका गया, और सरकार की चुप्पी व कमजोर पैरवी पर जनता के सामने गहरा आक्रोश प्रकट किया गया।
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने स्पष्ट किया कि जब तक दोषी फांसी के फंदे तक नहीं पहुँचते, जब तक VIP का नाम उजागर नहीं होता, जब तक अंकिता को न्याय नहीं मिलता — उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा मैदान नहीं छोड़ेगा।
बॉबी पंवार ओर त्रिभुवन चौहान के स्पष्ट किया कि आज हमने मुख्यमंत्री का पुतला फूंका, कल ये आक्रोश सड़कों से विधानसभाओं तक जाएगा।
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने चेताया है कि यदि सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं करती तो जनता उग्र रूप लेकर प्रदर्शन करेगी और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।


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