इंटरनेट मीडिया में की गई एक पोस्ट से कांग्रेस में हलचल मचा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक तीर से कई निशाने साध डाले। उत्तराखंड की राजनीति में पार्टी के सबसे बड़े चेहरे की अनदेखी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है, 24 घंटों में उन्होंने अच्छी तरह साबित कर दिया। यही नहीं, अब विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बटवारे में रावत ने अपनी निर्णायक भूमिका भी सुनिश्चित कर ली है। नवीनतम राजनीतिक परिस्थितियों में यह तय माना जा रहा है कि शुक्रवार को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में सुलह का फार्मूला काफी कुछ रावत के मन मुताबिक ही होगा।हरीश रावत उत्तराखंड के साथ ही राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हैं, यह बात हाईकमान भलीभांति जानता है। इसीलिए रावत के कोपभवन में जाते ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने बगैर देरी किए गतिरोध को दूर करने की पहल कर दी। राजनीतिक दांवपेच में माहिर हरीश रावत ने ठीक विधानसभा चुनाव के लिए टिकटों के बटवारे को लेकर चल रही कवायद के बीच अपना पैंतरा चला। उन्होंने इंटरनेट मीडिया में जो कुछ लिखा, वह प्रतीकों में था, लेकिन उसके निहितार्थ सभी की समझ में बखूबी आ गए। हाईकमान पर किसी आरोप या टिप्पणी से बचते हुए उन्होंने दिल्ली से भेजे गए नेताओं को निशाना बनाया।
दबाव की राजनीति में लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने के लिए कब और कौन सा कदम उठाना है, रावत जानते हैं और उन्होंने कुछ ही पंक्तियां लिखकर यह कर भी दिखाया। वह हाईकमान को सार्वजनिक रूप से संदेश देना चाहते थे कि उत्तराखंड में उनके बगैर कांग्रेस नहीं चल सकती, इसमें वह अब तक तो पूरी तरह सफल होते दिख रहे हैं। रावत काफी समय से यह मांग उठाते आ रहे हैं कि पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव में जाए, लेकिन हाईकमान द्वारा भेजे गए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव व प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडे ने दो टूक इसे नकार कर सामूहिक नेतृत्व की बात को प्रमुखता दी।इन परिस्थितियों में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सत्ता में आने पर तब ही रावत का मुख्यमंत्री पद पर दावा मजबूत होगा, जब उनके समर्थक अधिक संख्या में चुनकर आएं। इसके लिए टिकट बटवारे में बड़ा हिस्सा मिलना भी जरूरी है। अब इस बात की संभावना ही ज्यादा लगती है कि रावत हाईकमान के साथ होने वाली बैठक में खुद को प्रत्याशी चयन में निर्णायक भूमिका देने की बात मनवाने में कामयाब हो जाएंगे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि कांग्रेस रावत को हाशिये पर धकेल कर चुनाव मैदान में उतरने का जोखिम लेने की स्थिति में है ही नहीं।
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