- जनहित की अद्भुत मिसाल! संकट में सहारा बना एमडीडीए – आपदा पीड़ितों के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों ने दिया एक दिन का वेतन
- उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी का दृढ़ संकल्प: “संकट की घड़ी में प्रदेशवासियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है प्राधिकरण”
देहरादून। यह सिर्फ वेतन नहीं, मानवता का महादान है! मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने एक ऐसा अभूतपूर्व और अनुकरणीय कदम उठाया है, जिसने पूरे प्रदेश के सामने जनसेवा की नई परिभाषा गढ़ दी है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी के धराली और चमोली जिले के थराली में हाल ही में आई भीषण प्राकृतिक आपदा से उपजी दर्दनाक स्थिति से निपटने के लिए, एमडीडीए का हर अधिकारी और कर्मचारी एकजुट होकर सामने आया है।
विगत दिनों इन क्षेत्रों में प्रकृति का विकराल तांडव देखने को मिला, जिसके कारण भारी जनहानि हुई। कई परिवारों का संसार उजड़ गया, उन्होंने अपने प्रियजनों को हमेशा के लिए खो दिया और सैकड़ों लोग आज भी जीवन की मूलभूत सुविधाओं – खाद्यान्न, जस्ती चादरों और दैनिक उपयोग की वस्तुओं – के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इस विकट घड़ी में, जनहित को सर्वोपरि मानते हुए, एमडीडीए के कर्मठ उपाध्यक्ष श्री बंशीधर तिवारी ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उनके निर्देश पर, प्राधिकरण में कार्यरत सभी नियमित अधिकारी और कर्मचारी अपने सितंबर माह के एक दिन का वेतन स्वेच्छा से आपदा पीड़ितों की सहायता के लिए दान करेंगे।
इस परोपकारी कटौती से प्राप्त होने वाली विशाल राशि को एकमुश्त संकलित कर तत्काल मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में जमा कराया जाएगा। एमडीडीए की यह महान पहल न सिर्फ आपदा पीड़ितों को तात्कालिक राहत देगी, बल्कि यह मजबूत संदेश भी देती है कि सरकारी संस्थान और उनके सेवक संकट की घड़ी में समाज के साथ चट्टान की तरह खड़े हैं। इस संवेदनशील और दूरगामी निर्णय की व्यापक स्तर पर सराहना हो रही है।
“यह योगदान छोटा नहीं, बल्कि भावनात्मक सेतु है”
एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने भावुक होते हुए कहा, “आपदा की इस विकट घड़ी में प्रभावित परिवारों की पीड़ा हम सभी की साझा पीड़ा है। एक दिन का वेतन देना हमारे सर्वोच्च कर्तव्य और सामाजिक दायित्व का सबसे बड़ा प्रतीक है।”
उन्होंने दृढ़ता से कहा, “हमारी पुरजोर कोशिश है कि आपदा पीड़ितों तक हरसंभव मदद पहुंचाई जाए। यह योगदान भले ही आर्थिक रूप से छोटा लगे, लेकिन इसका उद्देश्य प्रभावित परिवारों के साथ भावनात्मक रूप से गहरा जुड़ना और उन्हें यह दृढ़ विश्वास दिलाना है कि समस्त प्रदेश उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।”
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