रानीखेत/इंफो उत्तराखंड
यूकेएसएसएससी (UKSSSC) और विधानसभा की बैकडोर भर्तियों की जांच में सरकार असली कुसूरवारों को बचाने की कोशिश कर रही है। यूकेएसएसएससी भर्ती घोटालों में जब तक सफेदपोश नेताओं और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती तब तक यह जांच अधूरी ही रहेगी।
यूकेएसएसएससी के पूर्व अध्यक्ष एस.राजू ने साफ तौर पर कहा था कि उन्होंने घपलों की शिकायत की उसे गंभीरता से नहीं लिया गया। कुछ सफेदपोश और अफसर नहीं चाहते थे कि जांच हो।
सरकार की असली चुनौती जांच को रोकने की कोशिश करने वाले सफेदपोश और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की है। इस मामले में हाकम सिंह को आगे किया जा रहा है लेकिन सवाल यह है कि हाकम को पैदा करने वाले सफेदपोश लोगों को क्यों छिपाया जा रहा?
जब तक इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार सलाखों के पीछे नहीं जाएंगे, तब तक सरकार प्रदेशवासियों का टूटा हुआ विश्वास नहीं लौटा पाएगी।
विधानसभा में नौकरी पाए लोग नहीं बल्कि असली गुनहगार वो लोग हैं जिन्होंने नौकरियां लगाई। नैतिकता को ध्वस्त कर अपने रिश्तेदारों को नौकरियों पर लगाया। उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी जरूरी है।
भले ही वो किसी भी दल के हों। हम सन 2000 से सचिवालय में हुई भर्तियों की जांच की मांग कर रहे हैं। गोविन्द सिंह कुंजवाल अपनी ग़लती स्वीकारते हुए कह चुके कि जनता उन्हें दंडित कर चुकी है लेकिन भाजपा के लोग अब भी सामनेआकर भर्ती घोटाले में शामिल होने की बात स्वीकार करने का साहस नहीं जुटा पाए हैं।
जीरो टॉलरेंस सरकार में यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाला,सचिवालय भर्ती घोटाला,दरोगा भर्ती घोटाला, कोआपरेटिव घोटाला होना इनके भ्रष्टाचार में संलिप्तता को उजागर करता है।
अंकिता हत्याकांड में सफेदपोश को बचाने के लिए सबूतों को मिटाने उनसे छेड़छाड़ करने का कार्य कर रही है
बेतहाशा महंगाई के बीच अब केंद्र सरकार अपने चहेते उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए 10 किलो के प्लास्टिक सिलेंडर ला रही है जिसमें उपभोक्ताओं से शुरूआत में तीन हजार सुरक्षित राशि लेकर उसकी जेब काटी जा रही है जबकि कांग्रेस सरकार में 16 किलो सिलेंडर पर भी इतनी भारी राशि कभी नहीं ली गई।
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