उत्तराखंड

राजधानी को महिलाओं के लिए ‘सबसे असुरक्षित’ बताने वाली रिपोर्ट का कप्तान अजय सिंह ने किया खंडन

राजधानी को महिलाओं के लिए ‘सबसे असुरक्षित’ बताने वाली रिपोर्ट का कप्तान अजय सिंह ने किया खंडन

देहरादून। एक निजी सर्वेक्षण में राजधानी देहारादून को महिलाओं के लिए देशभर में टॉप 10 सबसे ज़्यादा असुरक्षित क्षेत्र में सम्मिलित होने के दावे का पुलिस कप्तान अजय सिंह द्वारा खंडन किया गया है व दून पुलिस द्वारा शहरभर में महिलाओ की सुरक्षा में पूरा पुलिस बल सतर्कता, पूर्ण मुस्तैदी से तैनात रहने की बात कही है। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए गौरा शक्ति एप्प, एसओएस, उत्तराखंड पुलिस एप्प आदि के जरिये राजधानी की हज़ारों महिलाओं को प्रोटेक्ट करने के पुलिसबल की प्रतिबद्धता को दोहराया है।

गौरतलब है कि बीते दिनों दिल्ली की एक निजी कंपनी निजी सर्वे कम्पनी/डेटा साइंस कम्पनी “पी वैल्यू एनालिटिक्स“ द्वारा समाचार पत्रों के माध्यम से नारी-2025 शीर्षक के साथ एक सर्वे रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमें देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में सम्मिलित किया गया है। राज्य महिला आयोग द्वारा उक्त रिपोर्ट के बाद जहां उस रिपोर्ट को मात्र कुछ हजार महिलाओं के सर्वे पर बेस्ड बताकर सर्वेक्षण को न ही राष्ट्रीय महिला आयोग अथवा राज्य महिला आयोग और न ही किसी और सरकारी सर्वेक्षण संस्थान द्वारा करवाये जाने की बात कही है और रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल खड़े किए है।अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार यह पहल पूरी तरह पी वैल्यू एनालिटिक्स का स्वतंत्र कार्य है, जो अपराध के आकडों के आधार पर नहीं अपितु व्यक्तिगत धारणाओं पर भी आधारित है।

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पुलिस कप्तान अजय सिंह द्वारा मंगलवार को अपनी महिला अधिकारियों की टीम संग अपने कार्यालय में वार्ता आयोजित कर उक्त निजी संस्थान द्वारा राजधानी देहरादून में महिलाओं की सुरक्षा को खतरा बताये जाने की रिपोर्ट का शत प्रतिशत निंदा की व खंडन किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उक्त सर्वेक्षण देश के 31 शहरों में किया गया है, जो मात्र कंप्यूटरीकृत डाटा व सवाल जवाब के तौर पर तय्यरकीय गया है।

राजधानी की मात्र 12770 महिलाओं से टेलीफोन पर वार्ता कर सम्पूर्ण राजधानी की महिलाओं की स्थिति का आंकलन कर दिया गया जोकि निराधार है, उसमे तथ्यात्मक जानकारी का अभाव साफ प्रदर्शित हो रहा है।उन्होंने स्पष्ट किया कि राजधानी में लगभग 09 लाख की महिलाओं की आबादी के सापेक्ष केवल 400 महिलाओं के सैम्पल साइज के आधार पर इलेक्ट्रॉनिकली कनेक्ट करके निष्कर्ष निकाला जाना प्रतीत हो रहा है।

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अजय सिंह ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार मात्र 4 प्रतिशत महिलाओं द्वारा एप अथवा तकनीकी सुविधाओं को उपयोग किया जा रहा है जबकि उसके अनुपात में ख़ासतौर पर सिर्फ महिलाओं व उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाई गई गौरा शक्ति एप में महिलाओं के 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। जिसमें से 16हज़ार 649 रजिस्ट्रेशन मात्र देहरादून जनपद के ही हैं। इसके अतिरिक्त डायल 112, उत्तराखण्ड पुलिस एप, सी0एम0 हेल्पलाइन, उत्तराखण्ड पुलिस वेबसाइट के सिटीजन पोर्टल का महिलाओं द्वारा नियमित रूप से प्रयोग किया जा रहा है। स्पष्ट है कि सर्वेक्षण रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं है।

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अजय सिंह ने पुरजोर तरीके से राजधानी देहरादून में पुलिस बल द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए तत्पर रहने की पैरवी कड़ते हुए बताया कि सर्वेक्षण के मानकों में पुलिस से सम्बन्धित 02 बिन्दु रखे गए है जिसमे 01: पुलिस पैट्रोलिंग एवं 02: क्राइम रेट है। पुलिस पेट्रालिंग में सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा का स्कोर 11 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का स्कोर 33 प्रतिशत है।

स्पष्ट है कि देहरादून पुलिस पेट्रोलिंग के आधार पर सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा से भी ऊपर है। हर्रेसमेन्ट एट पब्लिक प्लेसेस शीर्षक में पूरे देश का स्कोर 07 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का 6 प्रतिशत है। स्पष्ट है कि देहरादून में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं अन्य शहरों की तुलना में स्वयं को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। हाई क्राइम रेट शीर्षक में देहरादून का स्कोर 18 प्रतिशत बताया गया है, जो तथ्यों पर आधारित नहीं है।

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