देहरादून में पहली बार गूंजे मैत्रेय दादा श्री जी के दिव्य विचार, सैकड़ों श्रद्धालु हुए देव-दीक्षा से आलोकित
साईं मंदिर परिसर बना अध्यात्म का केंद्र, प्रेम और शांति का दिया जलाया
देहरादून। शनिवार को देहरादून की पुण्यभूमि एक अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो गई जब पहली बार विश्वविख्यात आध्यात्मिक गुरु व मानवतावादी मैत्रेय दादा श्री जी का देव-दीक्षा सत्र यहां आयोजित किया गया। साईं मंदिर परिसर में हुए इस दिव्य आयोजन में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और दादा श्री जी के ओजस्वी वचनों से आत्मिक ज्ञान का अमृतपान किया।
मैत्रेय दादा श्री जी ने अपने प्रेरक संबोधन में श्रद्धालुओं को जीवन में भगवत कृपा अनुभव करने की सरल राह दिखाई। उन्होंने कहा, “सच्चा ज्ञान बोलने से नहीं, साथ चलने से प्रकट होता है। जब मन निर्मल हो, भाव शुद्ध हो, तो दिव्यता स्वयं प्रकट होती है।” उन्होंने आह्वान किया कि देश की उन्नति तभी संभव है जब शुद्ध भाव वाले लोग एक साथ जुड़ें।
2013 में स्थापित मैत्रेय बोध परिवार के संस्थापक दादा श्री जी ने बताया कि उनका लक्ष्य है—मानवता को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना। उन्होंने भ्रम, मोह और झूठ से बाहर निकलने का मार्ग बताया और जीवन में सत्य, सेवा और प्रेम को मूलमंत्र बताया।
इस मौके पर परिवार की सक्रिय सदस्य मैत्री अनिता ने कहा, “हमारा परिवार एक बंधुत्व का प्रतीक है। हम एक-दूसरे के मित्र बनकर निस्वार्थ सेवा में रत हैं।” उन्होंने तीन स्तंभ प्रेम, सेवा और सकारात्मक बदलाव की महत्ता पर प्रकाश डाला और बताया कि “हमारा संकल्प है विश्व में शांति और प्रेम का दीप जलाना।
कार्यक्रम में देशभर से आए मैत्रेय अनुयायियों की मौजूदगी ने इसे एक भव्य आध्यात्मिक संगम में बदल दिया। श्रद्धालुओं ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें जीवन की नई दिशा और ऊर्जा मिली है।


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