- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी नई शिक्षा नीति 2020 ( National Education Policy 2020 ) को मंजूरी।
- स्कूलों ( school education ) में छठी कक्षा से कोडिंग होगी शुरू, बदलेगा बोर्ड परीक्षा ( Board exam ) का सिस्टम।
- संस्कृत ( Sanskrit education ) पर जोर और 5+3+3+4 एजुकेशन सिस्टम ( indian education system ) लागू।
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है। 34 वर्षों के बाद शिक्षा नीति को बदल दिया गया है। इसके तहत प्राइमरी एजुकेशन से लेकर सेकेंडरी एजुकेशन में महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। इनमें ऑनलाइन शिक्षा, क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई और संस्कृत पर जोर दिया गया है। जानिए क्या हैं इस नई शिक्षा नीति की प्रमुख बातें:
- नर्सरीः 4 साल
- जूनियर केजी: 5 साल
- सीनियर केजी: 6 साल
- पहली कक्षा: 7 साल
- दूसरी कक्षा: 8 साल
3 साल का प्रेपरेटरी
6. कक्षा 3: 9 साल
7. कक्षा 4: 10 साल
8. कक्षा 5: 11 साल
3 साल का मिडिल
9. कक्षा 6: 12 साल
10. कक्षा 7: 13 साल
11. कक्षा 8: 14 वर्ष
4 साल सेकेंडरी
12. कक्षा 9: 15 वर्ष
13. कक्षा 10 (SSC): 16 वर्ष
14. कक्षा 11 (FYJC): 17 वर्ष
15. कक्षा 12 (SYJC): 18 साल
#NEP2020 will equip the youth with key 21st-century skills & provide them with umpteen opportunities to fulfill their dreams. Here is what Hon'ble PM Shri @narendramodi ji said about the Policy in the Parliament. pic.twitter.com/JTjaVtMQe9
— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) February 9, 2021
नई शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण बातें
- 10वीं बोर्ड का खात्मा।
- बोर्ड केवल 12वीं कक्षा में ही होगा।
- 4 साल की होगी कॉलेज डिग्री।
- एमफिल पाठ्यक्रम होगा बंद।
- अब 5वीं तक के छात्रों को केवल मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्रीय भाषा में पढ़ाया जाएगा। बाकी विषय, भले ही वे अंग्रेजी हों, विषय के रूप में पढ़ाए जाएंगे।
- अब केवल 12वीं में बोर्ड परीक्षा देनी होगी। जबकि इससे पहले 10वीं की बोर्ड परीक्षा देना अनिवार्य था, जो अब नहीं होगा।
- परीक्षा 9वीं से 12वीं कक्षा तक सेमेस्टर में होगी।
- स्कूली शिक्षा 5 + 3 + 3 + 4 फॉर्मूला के तहत पढ़ाई जाएगी।
- कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी। यानी स्नातक के प्रथम वर्ष पर प्रमाण पत्र(सर्टिफिकेट), द्वितीय वर्ष पर डिप्लोमा, तृतीय वर्ष में डिग्री दी जाएगी।
- 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है, जिन्हें उच्च शिक्षा नहीं लेनी है। साथ ही उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी। 4 साल की डिग्री करने वाले छात्र एक साल में एमए कर पाएंगे।
- अब छात्रों को एमफिल नहीं करना पड़ेगा। बल्कि एमए के छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे।
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