- पिथौरागढ़ की 7 वर्षीय नन्ही परी के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन की मांग उठाई
देहरादून। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की 7 वर्षीय बच्ची ‘नन्ही परी’ को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की मांग उठ रही है। यह मांग नन्ही परी के परिजनों और आंदोलन में शामिल रहे लोगों द्वारा की गई है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के मुख्य आरोपी को बरी कर दिया है।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में “नन्ही परी” के चाचा ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि यह मामला 2014 का है जब पिथौरागढ़ की बच्ची नन्ही परी का शव हल्द्वानी के पास जंगल में मिला था। इस मामले में पोक्सो कोर्ट ने मुख्य आरोपी को फांसी और एक सह-आरोपी को 5 साल की सजा सुनाई थी, जिसे उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
नन्ही परी के परिजनों का कहना है कि आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में कब अपील दायर की, इसकी सूचना उन्हें नहीं दी गई। उनका आरोप है कि सरकारी वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में केस की सही पैरवी नहीं की, जिसके कारण मुख्य आरोपी को बरी कर दिया गया। इस फैसले से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को गहरा धक्का लगा है।
नन्ही परी के परिवार और समर्थकों ने उत्तराखंड सरकार से अपील की है कि सरकार जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष रिव्यू पिटीशन दाखिल करे और यह सुनिश्चित करे कि इसे स्वीकार किया जाए।
रिव्यू पिटीशन तैयार करने और उसकी निगरानी के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता (Additional Advocate General) की अध्यक्षता में उत्तराखंड के अनुभवी वकीलों का एक पैनल बनाया जाए।
परिजनों का मानना है कि नन्ही परी को न्याय न मिलना उत्तराखंड की सभी बेटियों और बहनों के साथ अन्याय है। उन्होंने सरकार से इस मामले में उचित और मजबूत कदम उठाने की अपील की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं के आरोपियों को कड़ी सजा मिल सके।
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