- दुल्हनी नदी पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
उत्तराखंड में गजब हो रहा है, आपको बता दें एक और जहां सरकार जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध करवाने के लिए हर घर नल जैसी योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी और एक गजब कारनामा सामने आया है, कि किस प्रकार आंख मूंदकर जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
सरकार सौंग की सहायक दुल्हनी नदी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बना रही है। जबकि इस नदी का पानी गंगा नदी में जाता है। गंगाजल की अपनी एक धार्मिक मान्यता भी है। क्षेत्र के अधिकांश लोग इस स्वच्छ जल पर निर्भर है।
हाईकोर्ट ने देहरादून में सींग की सहायक दुल्हनी नदी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
याचिकाकर्ता की तरफ से मामले की सुनवाई कर रहे अधिवक्ता अभिषेक बहुगुणा द्वारा सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए कुछ अहम पहलुओं को न्यायालय के समक्ष रखा और कहा सरकार सौंग की सहायक दुल्हनी नदी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बना रही है। जबकि, इसका पानी गंगा नदी में जाता है, जिसमें हमेशा पानी रहता है।
इतना ही नहीं स्थानीय लोग एवं आस पास के जंगली जानवर इसका पानी पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस नदी में पहले से ही दून वैली डिस्टलरी का गंदा पानी बहाया जा रहा है।
ऐसे में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लगने से साफ पीने के पानी में कॉलिफोर्म बैक्टीरिया उत्पन्न होने की संभावना है, जिससे डायरिया, हैजा समेत कई तरह की बीमारियां फैल सकती है।
क्षेत्र वासियों ने कई प्रत्यावेदन इसके बारे में प्रशासन को दिए।लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उल्टा शहरी विकास और पेयजल निगम ने एक रिपोर्ट पेश कर कह दिया कि क्षेत्रवासियों ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी है।
मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से दो दिन के ऐप पर पढ़ें पेश करने को कहा है। खंडपीठ ने अन्य पक्षकारों से भी 21 मार्च से पहले जवाब पेश करने को कहा है।
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