गढ़वाल विश्वविद्यालय में नियुक्तियों में गंभीर अनियमिततायें! आखिर कब सुधरेगा हेनब विश्वविद्यालय..
रिपोर्टर : भगवान सिंह, श्रीनगर गढ़वाल
उतराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय का विवादों से पुराना नाता रहा है।
गत सितंबर महीने गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक पदों पर हुई नियुक्तियों को लेकर अभ्यर्थी द्वारा माननीय उच्च-न्यायालय में चुनौती दी गई थी, कि विश्वविद्यालय ने पदों की विज्ञप्ति करने में आरक्षण नियमों की अवहेलना की है, जिसपर न्यायलय ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाकर विज्ञप्ति को अवैधानिक और नियमविरूद्ध बताकर फैसला दिया।
वहीं इस मामले में विश्वविद्यालय ने अपनी गलती स्वीकार करके पदों का पुनः रोस्टर सही करके नियमानुकूल विज्ञप्ति करने की बात स्वीकार की। हालांकि पुराने गलत रोस्टर द्वारा की गई कुछ नियुक्तियों को माननीय उच्च-न्यायलय के निर्णय के विपरीत नियुक्ति भी प्रदान की गई है।
अब सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय अपनी ऐसी गलतियों को न सुधारकर वैयक्तिक प्रोन्नतियों में भी नियमों की गंभीर अवहेलना कर रहा है।
गौरलतब है कि माननीय उच्च न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार विश्वविद्यालय में वरिष्ठता का निर्धारण कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से जाना जाता है और विश्वविद्यालय में वरिष्ठताक्रम का निर्धारण वर्तमान तक इसी आधार से किया जा रहा है, जबकि ऐसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर बनने के लिए अन्य शैक्षिण योग्यताओं के साथ तीन वर्ष तक ऐसोसिएट प्रोफेसर होने का नियम है।
लेकिन अब बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय द्वारा ऐसे चहेते शिक्षकों को मनमाने तरीके से प्रोफेसर बनाने की तैयारी की जा रही है जिन्हें अभी ऐसोसिएट प्रोफेसर के रूप में तीन वर्ष नही हुए है। जबकि माननीय उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार वरिष्ठता का निर्धारण प्रत्येक संवर्ग पर कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से किया जाता है।
विश्वविद्यालय में वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में नियुक्ति संबंधी कई विवाद 2019 के बाद से लगातार प्रकाश में आ रहे हैं। 2020-21 में हुई नियुक्तियों के कुछ मामलों पर अभी भी निर्णय उच्च न्यायलय में लंबित है। ऐसे में भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसा विश्वविद्यालय एक बार फिर वैयक्तिक प्रोन्नतियों में नियमों की अवहेलना करके विवादों में घिर सकता है।
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