उत्तराखंड

थराली में प्राणमती नदी की अस्थायी पुलिया बहने से ग्रामीण बेहाल, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित

  • प्राणमती नदी की पुलिया बहने से थराली क्षेत्र में जनजीवन अस्त-व्यस्त, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित।

रिपोर्ट/ पुष्कर सिंह नेगी 

चमोली। सोल क्षेत्र में बीती बुधवार देर रात हुई भारी बारिश ने एक बार फिर ग्रामीणों की परेशानियाँ बढ़ा दी हैं। बारिश से प्राणमती नदी का जल स्तर अचानक बढ़ गया, जिसके कारण महज एक सप्ताह पूर्व ग्रामीणों की कड़ी मेहनत से बनाई गई लकड़ी की अस्थायी पुलिया बह गई। इस पुलिया के बहने से न केवल ग्रामीणों की आवाजाही ठप हो गई है, बल्कि थराली और आसपास के विद्यालयों में पढ़ने वाले दर्जनों छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी बाधित हो गई है।

पुलिया बहने के बाद अब ग्रामीणों के सामने फिर वही पुरानी समस्या खड़ी हो गई है। जब तक जल स्तर कम नहीं हो जाता और अस्थायी पुलिया दोबारा नहीं बनाई जाती, तब तक लोगों को थराली मुख्यालय पहुँचने के लिए कुलसारी मार्ग से होकर 7 से 10 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। यह अतिरिक्त दूरी न केवल समय और श्रम की बर्बादी है, बल्कि बुजुर्गों, महिलाओं और छात्रों के लिए शारीरिक थकान और मानसिक तनाव का कारण भी बन रही है।

इस समय खेतों में धान और मडुआ जैसी फसलें पककर तैयार हो चुकी हैं। ग्रामीणों को अपने मवेशियों के लिए चारा-पत्ती लाने और खेतों से फसल काटने में भारी कठिनाई झेलनी पड़ रही है। कोटडीप और आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों का कहना है कि पुलिया टूटने से उनका रोजमर्रा का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। महिलाएँ जो खेतों से चारा या फसल लेकर आती थीं, अब उन्हें लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है। इससे समय भी अधिक लग रहा है और श्रम भी दोगुना हो गया है।
थराली में कारोबार कर रहे व्यापारियों के सामने भी नई चुनौती खड़ी हो गई है।

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पुलिया बहने से आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है। अब उन्हें अतिरिक्त दूरी तय कर सामान लाना-ले जाना पड़ रहा है। व्यापारी बताते हैं कि इससे उनके खर्चे बढ़ गए हैं और आम लोगों को भी महँगाई का सामना करना पड़ सकता है। सबसे गंभीर असर क्षेत्र के छात्र-छात्राओं पर पड़ा है। थराली और आसपास के राजकीय इंटर कॉलेज तथा बालिका इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले सूना गांव के 24 छात्र-छात्राओं का पठन-पाठन पूरी तरह बाधित हो गया है।

राजकीय इंटर कॉलेज थराली के प्रधानाचार्य महिपाल सिंह भंडारी ने बताया कि परिस्थितियों को देखते हुए अब इन बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जाएगी। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में नेटवर्क और इंटरनेट की दिक्कतों के कारण ऑनलाइन शिक्षा कारगर साबित नहीं हो रही है।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2023 की आपदा में प्राणमती नदी पर बना लोहे का पुल और झूला पुल दोनों बह गए थे। तभी से ग्रामीण शासन-प्रशासन से स्थायी मोटर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि तब से अब तक 30 से 35 बार नदी पर लकड़ी की अस्थायी पुलिया बनाई जा चुकी है, लेकिन हर बार थोड़ी-सी बारिश और जलस्तर बढ़ने पर यह पुलिया बह जाती है।

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स्थानीय निवासी कुंवर सिंह रावत, विनोद रावत, प्रेम बुटोला, खिमानंद खंडूड़ी, नंदू बहुगुणा और मोहन बहुगुणा ने बताया कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण ग्रामीण लगातार परेशानियों का सामना कर रहे हैं। उनका कहना है कि अस्थायी पुलिया कोई स्थायी समाधान नहीं है। जब तक नदी पर पक्का पुल नहीं बनेगा, तब तक यह समस्या हर साल बारिश के मौसम में दोहराई जाती रहेगी।

थराली वार्ड सभासद मोहन पंत ने बताया कि कई बार लोक निर्माण विभाग को इस समस्या से अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने विभाग से बरसात खत्म होते ही स्थायी पुल निर्माण का काम शुरू करने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाता है, तो यहां की जनता आंदोलन करने को मजबूर होगी।

पुलिया बहने के बाद ग्रामीणों को नदी पार करने के लिए जोखिम उठाना पड़ता है। कई बार लोग नदी में गिरने से घायल भी हो चुके हैं। ग्रामीण बताते हैं कि यदि किसी आपात स्थिति में किसी को अस्पताल ले जाना पड़े तो समस्या और गंभीर हो जाती है। लकड़ी की अस्थायी पुलिया बारिश में तुरंत बह जाती है, ऐसे में हर बार जान जोखिम में डालकर आवाजाही करना किसी बड़ी दुर्घटना को न्योता देने जैसा है।

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और विभाग बड़े-बड़े दावे तो करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्य नहीं हो रहा। थराली, सूना, पेनगढ़ और देवलग्वाड़ जैसे गांवों के लोग हर बार आपदा की मार झेलते हैं और हर बार उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर कब तक ग्रामीण अस्थायी पुलिया पर निर्भर रहेंगे और कब तक बच्चों की पढ़ाई और ग्रामीणों का जीवन बारिश के पानी के साथ बहता रहेगा।

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ग्रामीणों का सर्वसम्मति से कहना है कि इस समस्या का एकमात्र समाधान प्राणमती नदी पर स्थायी मोटर पुल का निर्माण है। यदि यह पुल बन जाए तो न केवल ग्रामीणों की आवाजाही सुगम होगी, बल्कि बच्चों की पढ़ाई, व्यापार और खेती-किसानी सब पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

प्राणमती नदी की अस्थायी पुलिया हर बार बारिश में बह जाती है और हर बार ग्रामीणों को नई मुसीबत का सामना करना पड़ता है। बच्चों की शिक्षा से लेकर महिलाओं के दैनिक कार्य, किसानों की खेती-बाड़ी और व्यापारियों का कारोबार—सब कुछ इस अस्थायी व्यवस्था पर टिका हुआ है। 2023 की आपदा के बाद से ग्रामीण शासन-प्रशासन से बार-बार स्थायी पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक केवल आश्वासन ही मिला है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही पुल निर्माण का काम शुरू नहीं किया गया तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।

स्पष्ट है कि अब यह समस्या केवल ग्रामीणों की नहीं, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही का सवाल बन चुकी है। जब तक स्थायी पुल नहीं बनेगा, तब तक थराली क्षेत्र के ग्रामीणों की परेशानियाँ इसी तरह बनी रहेंगी।

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