आयुर्वेद चिकित्सक की नियुक्ति की मांग: विश्व आयुर्वेद परिषद ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
देहरादून। विश्व आयुर्वेद परिषद, उत्तराखंड ने राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड में रजिस्ट्रार के पद पर आयुर्वेद चिकित्सक की ही नियुक्ति की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों आयुष चिकित्सा पद्धति के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन उत्तराखंड में पूर्व कार्यकाल के दौरान एक गैर-चिकित्सक को रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया था, जो अब भी पदस्थ हैं।
अनियमितताओं के आरोप :
परिषद ने आरोप लगाया कि गैर-आयुर्वेदिक चिकित्सक की नियुक्ति से पंजीकरण की प्रक्रिया में कई गंभीर अनियमितताएँ हुई हैं, जिनमें फर्जी डिग्रीधारियों का पंजीकरण प्रमुख है। इसके चलते राज्य की आयुष परिषद और विभाग की छवि धूमिल हुई है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि इस प्रकरण की जांच एसआईटी द्वारा कराई गई थी, जिसमें कुछ दोषियों को जेल भी भेजा गया है। इसके अतिरिक्त, कुछ डिप्लोमा धारियों का भी पंजीकरण नियमों के खिलाफ किया गया है, जिसकी जांच की आवश्यकता है।
आयुष विभाग और आयोग का हस्तक्षेप:
भारत सरकार के आयुष विभाग और राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग ने भी गैर-मान्यता प्राप्त डिप्लोमा धारियों के पंजीकरण को निरस्त करने का निर्देश दिया है और रजिस्ट्रार पद पर गैर-चिकित्सक की नियुक्ति को नियम-विरुद्ध माना है। इससे पूरे राज्य में आयुष चिकित्सकों और जनता के बीच असंतोष व्याप्त है।
परिषद के प्रस्ताव और संघ की मांग:
भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड ने दो बार सर्वसम्मति से आयुर्वेदिक चिकित्सक को रजिस्ट्रार नियुक्त करने का प्रस्ताव पास कर शासन को भेजा है। इसके साथ ही, राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. डी. सी. पसबोला ने भी आयुर्वेदिक चिकित्सक की नियुक्ति की मांग को समय-समय पर दोहराया है।
आयुष चिकित्सा पद्धति के विकास, फर्जी चिकित्सकों के पंजीकरण पर रोक, और परिषद में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए परिषद ने मुख्यमंत्री से रजिस्ट्रार पद पर आयुर्वेदिक चिकित्सक की तत्काल नियुक्ति की अपील की है।


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