विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने कोटद्वार निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मुरली सिंह रावत के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
रिपोर्ट भगवान सिंह, पौड़ी गढ़वाल
कोटद्वार तहसील के अन्तर्गत ग्राम मवाकोट निवासी मुरली सिंह रावत का 104 वर्षीय की उम्र में निधन हो गया ।
मुरली सिंह रावत 1937 में 18 वर्ष की आयु में आर्मी ट्रेनिंग स्कूल लैन्सडोन में गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए और 3 वर्ष के बाद को वे अपने 21वे जन्मदिवस पर लांस नायक के पद पर प्रमोट हुए थे ।
जुलाई 1943 में सिंगापुर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा आजाद हिन्द फौज (INA) के गठन के बाद मुरली सिंह रावत भी आजाद हिन्द सेना के सैनिक बन गए जहाँ पर उन्होंने ऑफिसर ट्रेनिंग स्कूल की परीक्षा पास की और उन्हे लैप्टनेट के पद पर प्रोन्नत किया गया। उन्होंने कर्नल जी०एस ढील्लन के नेतृत्व में चौथी गुरिल्ला रेजिमेन्ट जो बाद में जवाहर रेजिमेन्ट के नाम से जानी गई,ज्वाइन की।
पी.ए.सी सीतापुर, उत्तरकाशी और मुरादाबाद में तैनाती के बाद 1961 में मुरली सिंह रावत को फिर प्लाटून कमांडर के पद पर उत्तरकाशी भेजा गया जहां 1962 में चीनी सेना की एक टुकड़ी जो नीलांग घाटी में घुस गई थी मुरली सिंह के नेतृत्व में नेतृत्व में चीनी सैनिको को पीछे खदेड़ा था। 1974 में जोशीमठ से पी.ए.सी से सम्मान पूर्वक मुरली सिंह रावत सेवानिवृत्त हुये।
आजादी की लड़ाई के पुरोधा स्वतंत्रता सेनानी मुरली सिंह रावत के निधन पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने संवेदना संदेश में कहा कि हमने एक महान गांधीवादी विचारक खो दिया है, देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी भूलाया नहीं जा सकता।
उन्होंने मुरली सिंह रावत को याद करते हुए कहा की कुछ माह पूर्व उन्होंने मवाकोट स्थित उनके आवास पर पहुंच कर उनसे भेंट की थी और उनको सम्मानित कर उनका आशीर्वाद भी लिया था।
विधानसभा अध्यक्ष ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति और शोकाकुल परिवारजनों दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की।
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