- धरातल से कोसो दूर… मुख्यमंत्री महिला सतत् आजीविका योजना : गरिमा दसौनी
देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने राज्य की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से चलाई जा रही मुख्यमंत्री महिला सतत् आजीविका योजना में गड़बड़ी और अनुदान के गलत वितरण के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि योजना के तहत प्रशिक्षण लेने के बाद भी करीब 300 महिलाओं को 50 हजार रुपये का अनुदान नहीं मिल पाया है।
गरिमा मेहरा ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस से बात करते हुए बताया कि मामला देहरादून जिले के रायपुर और मालदेवता क्षेत्र का है। उन्होंने कहा कि विभाग ने जून 2025 में संबंधित एनजीओ को नोटिस जारी किया था, लेकिन तीन वर्षों से पात्र महिलाएं अनुदान के लिए विभाग और एनजीओ के चक्कर काट रही हैं। विभाग का दावा है कि पैसा एनजीओ को दिया जा चुका है, लेकिन महिलाओं तक लाभ नहीं पहुँचा।
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि 1.26 करोड़ रुपये की राशि एनजीओ को मिल चुकी है, तो इसका ब्याज सहित वापसी और निधि का अटका रहना गड़बड़झाले को दर्शाता है। गरिमा ने कहा कि प्रशिक्षण के बाद भी महिलाओं को डेयरी और मधुमक्खी पालन जैसी परियोजनाओं के लिए संसाधन नहीं मिले हैं।
रायपुर ब्लॉक के बजेत, सिरकी, रामनगर डांडा, मीडावाला, दुधियावाला व डांडी क्षेत्र की लगभग 300 महिलाओं को 2022 में प्रशिक्षण दिया गया।
महिलाओं के लिए डेयरी और मधुमक्खी पालन हेतु एनजीओ को 1.26 करोड़ रुपये जारी किए गए, जिसमें मार्च 2022 में 3,84,120 रुपये प्रशिक्षण के लिए भी दिए गए।
प्रशिक्षण पूरा होने के बावजूद गाय और मधुमक्खी पालन के उपकरण महिलाओं को नहीं दिए गए।
योजना के तहत 25-25 महिलाओं के समूह बनाकर प्रशिक्षण दिया गया था, लेकिन लाभार्थियों को अनुदान नहीं मिला।
गरिमा ने कहा कि विभाग ने 22 अप्रैल 2025 को अन्य 9 एनजीओ के लिए भी पत्र जारी कर स्थलीय जांच रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि योजना के क्रियान्वयन में गाइडलाइन का उल्लंघन और पारदर्शिता की कमी स्पष्ट नजर आ रही है।
योजना की पात्रता :
- लाभार्थी निराश्रित, विधवा या निर्बल वर्ग से हो।
- महिला की उम्र 18 से 50 वर्ष के बीच हो।
- उत्तराखंड की मूल निवासी हो।
- किसी अन्य योजना या व्यवसाय से लाभान्वित न हो।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम में 1000 रुपये छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण पूरा होने के बाद 50 हजार रुपये तक का अनुदान।
गरिमा मेहरा ने कहा कि यह मामला राज्य सरकार और अधिकारियों के गठजोड़ का उदाहरण है, जिससे योजनाओं का लाभ वास्तविक महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रहा। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील की कि मंच पर केवल महिला सशक्तिकरण की बातें करने के बजाय, योजनाओं की धरातलीय स्थिति का व्यक्तिगत निरीक्षण करें और उचित कार्रवाई करें।



लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 इंफो उत्तराखंड के फेसबुक पेज से जुड़ें