उत्तराखंड

अच्छी खबर : बद्री घी को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपए का बनाएं प्रपोजल : डॉ धन सिंह

बद्री घी को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रपोजल बनाएं: डॉ धन सिंह रावत सहकारिता मंत्री उत्तराखंड।

हर सेक्टर के 10- 10 किसानों का अध्ययन दल जाएगा विभिन्न राज्यों में

यूकेसीडीपी की वेबसाइट और एमआईएस का सहकारिता मंत्री ने किया उद्घाटन

सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा है कि सेब, डेयरी, भेड़ बकरी, मछली के 10-10 प्रगतिशील किसानों को अध्ययन के लिए कश्मीर, हिमाचल, गुजरात, गोवा/ आंध्र प्रदेश, राजस्थान, लेह लद्दाख भेजा जाएगा। ताकि किसान वहां का अध्ययन कर अपनी यहां और प्रगति कर सकें

सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत आज बृहस्पतिवार को राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के निदेशालय में www.ukcdp.com और MIS के उद्घाटन के बाद अधिकारियों की समीक्षा बैठक में बोल रहे थे उन्होंने कहा कि हर जिले से प्रगतिशील किसान सेब के लिए कश्मीर, हिमाचल, डेयरी के लिए गुजरात मछली के लिए गोवा और आंध्रप्रदेश भेड़ बकरी के लिए राजस्थान और लेह लद्दाख अध्ययन के लिए जाएंगे।

उन्होंने किसानों के चयन करने के लिए निबंधक सहकारिता को निर्देशित किया। इस अध्ययन का खर्चा राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना वहन करेगी।

उन्होंने कहा कि 2019 से राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना 4 विभागों द्वारा किसानों की आमदनी दोगुनी कर रही है। इसके अच्छे नतीजे अब सामने आ रहे हैं मंत्री डॉ रावत ने कहा कि परियोजना कोऑपरेटिव कलेक्टिव फार्मिंग भी कर रही है जौनपुर और चंपावत में सब्जी और अदरक की पैदावार पर किसान अच्छा कर रहे हैं।

उन्होंने डेयरी विभाग को निर्देश दिया है कि बद्री गाय पर विशेष रूप से फोकस किया जाए 100 करोड रुपए की बद्री गाय को बढ़ाने के लिए प्रस्ताव और प्रोजेक्ट बनाए जाएं परियोजना निदेशक डेयरी ने बताया कि गत वर्ष डेयरी को 22 करोड रुपए मिले थे इस वर्ष ₹13 करोड़ में से ₹3 करोड़ 26 लाख खर्च हो गए हैं। उल्लेखनीय है की बद्री की महानगरों में 2500 किलो बिक रहा है इसकी की बहुत डिमांड बढ़ी है।

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अपर निबंधक सहकारिता श्री आनंद शुक्ला ने जानकारी दी कि, पिछले साल सहकारिता विभाग ने ₹35 खर्च किया गया है। इस साल ₹36 करोड़ में से ₹10 करोड़ अब तक खर्च हो गए हैं साइलेज के पर्वतीय क्षेत्र में 150 सेंटर बना दिए गए हैं मार्च तक 15 हजार मैट्रिक टन साइलेंट इन सेंटरों में पहुंच जाएगा।

मंत्री डॉ रावत ने भेड़ बकरी अधिकारियों को निर्देश दिए कि बकरी पालन और उनसे दूध निकालने पर विशेष ध्यान दिया जाय। मार्केट में ₹600 किलो बकरी का दूध बिक रहा है जिसे डेंगू बुखार के लिए लोग प्रयोग में कर रहे हैं।

परियोजना निदेशक भेड़ बकरी डॉ अविनाश आनंद ने बताया कि 2 साल में ₹50 करोड़ उनके विभाग को आवंटित हुआ था जिसमें ₹ 36 करोड़ खर्च हो गया है।

मत्स्य की परियोजना निदेशक श्रीमती कल्पना हल्दिया ने बताया कि अब तक 4 करोड रुपए विभाग ने खर्च कर दिया है ट्राउट फिश पर पर्वतीय क्षेत्र में अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

मंत्री डॉ रावत ने बताया कि राज्य के 6 लाख किसानों को 0% ब्याज पर दीनदयाल किसान कल्याण ऋण योजना में 4 हज़ार करोड़ रुपये दिए गए हैं। जो अपने आप में बड़ा काम है उन्होंने कहा कि किसानों ने इस पैसे से अपनी आमदनी दोगुनी की है। मंत्री डॉ रावत ने कहा कि राज्य में सेब के 1000 नए बागान लगाए जाएंगे।

यूकेसीडीपी की वेबसाइट और एमआईएस क्या है ?
जानिए …..

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यूकेसीडीपी की वेबसाइट और एमआईएस का उद्घाटन एक क्लिक दबाकर सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने किया। उन्होंने वेबसाइट और एमआईएस को पूरी तरह से देखा और एक एक चीज के बारे में अधिकारियों से जानकारी हासिल की। सहकारिता विभाग के सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि वेबसाइट और एमआईएस में एमपैक्स तक को जोड़ा गया है।

उन्होंने बताया वेबसाइट में समग्र रूप से परियोजना की डिटेल दी गई है। भविष्य में परियोजना क्या काम करने जा रही है और क्या काम वर्तमान में किए जा रहे हैं इसका संपूर्ण डाटा उपलब्ध है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दिया है ऐसे में सरकारी विभागों की वेबसाइटों का महत्व बढ़ जाता है। एक छाते के नीचे संपूर्ण जानकारियां वेबसाइट में मिल जाती हैं उत्तराखंड राज्य समेकित परियोजना – कोऑपरेटिव, भेड़ बकरी पालन , डेयरी और मत्स्य में काम कर रही है। किसानों की आमदनी 2019 से दोगुनी करने के लिए काम चल रहा है ।

2022 में किन-किन किसानों की आमदनी दोगुनी हुई है और राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना से किसानों को क्या-क्या लाभ दिया जा रहा है उनके नाम सहित और संपूर्ण जानकारी इन वेबसाइट में मिल जाएगी।अमेरिका में बैठा हुआ व्यक्ति भी उत्तराखंड के विकास के बारे में जान सकेगा जो सहकारिता विभाग द्वारा कराया जा रहा है।

उत्तराखंड पहला राज्य है जहां पर्वतीय अंचलों में घसियारी योजना कोऑपरेटिव परियोजना सेक्टर द्वारा चलाई जा रही है ताकि महिलाओं का सिर का बोझ कम हो सके, उन्हें आंगन में साइलेज मिल रहा है कहां साइलेज मिलेगा ? कितना साइलेज मिल रहा है? क्या इसमें सब्सिडी है पशु इसके खाकर कितना दूध दे रहे हैं , गांव, और एम पैक्स के नाम, वैज्ञानिक ढंग से सारी रिपोर्ट और सारी जानकारियां वेबसाइट में मिल जाएंगी।

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वेबसाइट और एमआईएस पारदर्शिता का एक बड़ा उदाहरण है। किसी भी विभाग का वेबसाइट आईना होता है कोई भी व्यक्ति वेबसाइट से विभाग के बारे में घर बैठे जानकारी हासिल करता है और जानता है।

MIS ( management information systems) (प्रबंधन सूचना प्रणाली)

का भी उद्घाटन होगा। इसमें प्रोजेक्ट का वित्तीय डेटा शामिल होगाl परियोजना से जुड़े हुए विभाग और बेनेफिशरी, एनसीडीसी से लेकर बेनेफिशरी ही इसे एक क्लिक करके देख सकेंगेl यह इंटरनल डाटा होगा, जिसे लिंक दिया जाएगा वही इसे खोल पाएगा।

एमआईएस वित्तीय पारदर्शिता का बड़ा नमूना है।

3340 करोड़ों रुपए के एनसीडीसी ऋण का पैसा सबसे पहले उत्तराखंड राज्य सरकार आता है फिर सीपीडी (मुख्य परियोजना निदेशक राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना ) के खाता में आता है फिर परियोजना निदेशकों 4 को भेजा जाता है और फिर बेनिफिसरी / बहुउद्देशीय साधन सहकारी समिति को जाता है। और वहां से गांव के ग्रामीणों की योजनाओं के लिए, किसान अपनी आमदनी दोगुनी करके इसे किस्तों में लौटा रहे हैं।

इसका सम्पूर्ण फाइनेंशियल जिक्र सारा डाटा में होगा, किस योजना में कितना ऋण दिया गया , कितना वापस आया, कितना बैलेंस है, सारा डाटा यहां एमआईएस में उपलब्ध होगा। एमआईएस सार्वजनिक नहीं है। इसका डाटा परियोजना से जुड़े लोगों के लिए उपलब्ध होगा। जिससे वह एक क्लिक करके देख सकते हैं।

इस अवसर पर सहकारिता विभाग के सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम, निबंधक सहकारिता आलोक कुमार पांडेय, अपर निबंधक आनंद शुक्ला, उप निबंधक सहकारिता रामिन्द्री मंद्रवाल, परियोजना निदेशक डॉ अविनाश आनंद, परियोजना निदेशक अल्पना हल्दिया, प्रबंधक मनोज रावत , एडीसीओ भरत सिंह रावत सहित अनेक अधिकारी मौजूद थे

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