बेरीनाग/इंफो उत्तराखंड
बेरीनाग नगर पंचायत के अध्यक्ष हेम पंत ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही उन्होंने अपना इस्तीफा पिथौरागढ़ डीएम को भेज दिया है। वहीं नगर पंचायत में इस इस्तीफे से हड़कंप मच गया।
नगर पंचायत अध्यक्ष हेम पंत ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 4 वर्षों में बेरीनाग नगर पंचायत के साथ सौतेले जैसा व्यवहार किया जा रहा है।
अध्यक्ष ने कहा कि इससे पूर्व में हुई घोषणा के बावजूद भी बेरीनाग नगर पंचायत को नगर पालिका नहीं बनाया गया है।
नगर पंचायत अध्यक्ष हेम पंत का आरोप है कि पिछले 2 माह से नगर पंचायत में पेयजल जैसी व्यवस्था सहित अन्य समस्याओं को लेकर क्रमिक अनशन भी किया था।
लेकिन स्थानीय विधायक और प्रशासन के द्वारा अनशन खत्म करने के दौरान शीघ्र समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया गया था, लेकिन एक माह बाद भी इस समस्या पर कोई समाधान नहीं हुआ तो सरकार से खिन्न होकर अध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
बता दें कि हेम पंत ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। बाद में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। पूर्व में हेम पंत ने 2007 डीडीहाट विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक का चुनाव भी लड़ा था। लेकिन तब वो बिशन सिंह चुफाल से हार गए थे।
Resignation Letter in mein point
नगर पंचायत बेरीनाग के अध्यक्ष हेम पंत ने कहा की वह नवम्बर 2018 में बेरीनाग नगर पंचायत के चुनाव हुए थे, इन चुनावों में वे निर्दलीय प्रत्याक्षी के तौर पर अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए थे।
साथ ही उन्होंने कहा कि जनमानस की समस्याओं को देखते हुए अवस्थापना निधि के तहत शासन / प्रशसन को लगभग तीन करोड़ के प्रस्ताव भेजे गए थे। जिसमें दैवीय आपदा मद में लोगों के घरों की सुरक्षा हेतु एक करोड़ मांगे गए थे।
लेकिन पेयजल की समस्याओं को देखते हुए विधायक व उपजिलाधिकारी बेरीनाग के नेतृत्व में दो बैठकें जल निगम एवं जल संस्थान के अधिकारियों के साथ की जा चुकी है, जिसमें समस्या के समाधान हेतु आश्वासन दिया गया था। लेकिन उपरोक्त समस्याओं के निदान हेतु दिनांक 23.5.2022 से दिनांक 02.06.2022 तक शहीद चौक बेरीनाग में मेरे द्वारा कमिक अनशन किया गया था। तब भी विधायक एवं उपजिलाधिकारी द्वारा समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया गया था।
परन्तु बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि पिछले चार सालों से लगातार मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी एवं मंत्री शहरी विकास विभाग को कई बार पत्र लिखने के बाद भी कोई अपेक्षित कार्यवाही नहीं हुई है, शायद मेरा सत्ता पक्ष की पार्टी से जुड़ा न होना इसका कारण है।
जनता के कार्यों हेतु धन उपलब्ध न होने के कारण मैं उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहा हूँ। अतः मैं अपने पद से इस्तीफ़ा देता हूँ।
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