- पर्वतीय क्षेत्रों में भू-बन्दोबस्त (चकबन्दी) प्रथम दो वर्षों में पूरा करना।
- बंद पड़ी विद्युत परियोजनाओं को चालू कर उत्तराखंड को बिजली प्रदेश (विद्युत प्रदेश) बनाना। बिजली उत्पादक प्रदेश होने के नाते बिजली के कुल उत्पादन का 12 प्रतिशत राज्य को मुफ्त मिलने का प्रावधान है, उसे तथा मिलने वाली रायल्टी को मिलाकर उपभोक्ताओं को एक हिस्सा उपलब्ध कराया जाएगा।
- उत्तराखंडवासियों को हर महीने एक गैस सिलिंडर और बिजली पानी के बिलों में 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
- चाय बगानों को पुनजीवित किया जाएगा। पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु का अध्ययन कर नए चाय बगानों को लगाना और टी-बोर्ड की स्थापना।
- तीर्थाटन गढ़वाल मंडल में अधिक होता है। यात्रा सीजन में जाम की स्थिति रहती है इसके लिए वैकल्पिक रूटों का सर्वे कर उनका निर्माण।
- पर्वतीय क्षेत्रों में निवेश के लिए उत्तराखंड के प्रवासियों को वरीयता देना।
- नैनीताल उच्च न्यायालय की एक बेंच की स्थापना देहरादून में करना ताकि उत्तरकाशी, पौड़ी, हरिद्वार, देहरादून के लोगों को नैनीताल न जाना पड़े।
- प्रदेश के पट्टे धारकों तथा नजूल की भूमि में काबिज परिवारों के पट्टों पर काबिज लोगों को मालिकाना हक दिया जाना (भूमिधरी का अधिकार)।
- प्रदेश में एक परिवार को एक निजी आवास बनाने के लिए रेत, लकड़ी, बजरी की मुफ्त व्यवस्था करना।
- रेत/बजरी खदानों के पट्टे प्रदेश के बेरोजगार युवकों को दिया जाना।
- वन कानून को लचीला बनाते हुए जंगली जानवरों से मृत्यु पर 25 लाख का मुआवजा तथा यदि फसल को क्षति होती है तो उसकी भरपाई।
- समाजवादी सरकार के (2012-2017) कार्यों के उत्तर प्रदेश मॉडल पर उत्तराखंड का विकास सुनिश्चित करना।
- भ्रष्टाचार मुक्त लोक प्रशासन।
- उत्तराखंड के तीनों तत्वों -जल, जंगल, जमीन को संरक्षित करके प्रदेश के आर्थिक आधार को मजबूत किया जा सकता है। प्रदेश के इकलौते विश्व प्रसिद्ध कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय विवि का दर्जा दिलाया जाएगा।


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