हरिद्वार। हरिद्वार जेल से रिहाई के बाद पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन का काफिला कानून को ठेंगा दिखाते हुए सड़कों पर निकल पड़ा। अस्पताल से रिहाई की प्रक्रिया आम कैदियों से अलग रही, न जेल के बाहर इंतजार, न आम बंदियों की तरह कागजी औपचारिकताओं का पालन। बल्कि, खुद जेल अधीक्षक ने अस्पताल जाकर सारी कागजी प्रक्रिया पूरी की और फिर पूर्व विधायक को समर्थकों के हुजूम के बीच रवाना कर दिया।
रिहाई के बाद सड़क पर नज़ारा चौंकाने वाला था। हूटर बजाते वाहनों की लंबी कतारें, समर्थकों का जोश और कानून-व्यवस्था के नियमों को ताक पर रखकर किया गया शक्ति प्रदर्शन। इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस प्रशासन महज़ मूकदर्शक बना रहा। न कोई हस्तक्षेप, न कोई रोकटोक।
अब सवाल उठता है, क्या यह कानून से ऊपर होने का प्रमाण था? क्या नियम सिर्फ आम जनता के लिए बने हैं, जबकि खास लोगों को विशेष दर्जा प्राप्त है? अगर यही हाल रहा, तो कानून व्यवस्था का क्या भविष्य होगा?

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