- उत्तराखंड के लिए करन माहरा ने मांगा 20 हजार करोड़ का पैकेज, पीएम को लिखा पत्र
नीरज पाल
देहरादून, संवाददाता। उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का विशेष राहत पैकेज देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हालात बेहद गंभीर हैं और अब तक मिली मदद पर्याप्त नहीं है।
माहरा ने कहा कि धामी सरकार ने केन्द्र से केवल 5700 करोड़ रुपये की सहायता मांगी है, जबकि अकेले जोशीमठ के पुनर्निर्माण पर ही लगभग छह हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। ऐसे में पूरे राज्य के लिए कम से कम 20 हजार करोड़ रुपये का पैकेज जरूरी है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने याद दिलाया कि इससे पहले उन्होंने 10 हजार करोड़ रुपये की सहायता की मांग की थी, लेकिन भारी बारिश और आपदाओं के चलते स्थिति और बिगड़ गई है।
कई क्षेत्रों में अब तक नहीं पहुंची राहत
करन माहरा ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में आपदा पीड़ितों की दुर्दशा का जिक्र करते हुए कहा कि कई जगहों पर लोगों को अब तक कोई मदद नहीं मिली है।
कर्णप्रयाग के बहुगुणा गांव में 35 मकान क्षतिग्रस्त हुए, लेकिन प्रभावित परिवारों को सहायता नहीं मिली।
गोपेश्वर और नैनीताल (बलिया नाला क्षेत्र) में लगातार भूस्खलन हो रहे हैं।
खटिया, खाती गांव, भराड़ी, सौंग और धारचूला जैसे क्षेत्रों में भी आपदाएं आईं, पर आर्थिक मदद अब तक नहीं पहुंची।
माहरा ने कहा कि लगातार भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और पौड़ी जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। आपदा प्रबंधन विभाग ने IIRS (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग) की चेतावनियों को भी नजरअंदाज किया।
उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की कि उत्तराखंड की मौजूदा आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।
पत्र में रखी गईं मुख्य मांगें :-
माहरा ने 5 सितंबर को लिखे पत्र में कुछ अहम मांगें रखीं, जिनको उन्होंने दोहराया है—
मौजूदा आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।
उत्तराखंड को केन्द्र से 20 हजार करोड़ रुपये का विशेष राहत पैकेज दिया जाए।
प्रत्येक आपदा पीड़ित परिवार को केन्द्र और राज्य से 10-10 लाख रुपये की तत्काल सहायता मिले।
क्षतिग्रस्त मकानों और भवनों का आंकलन कर उचित मुआवजा दिया जाए।
विस्थापन टिहरी बांध विस्थापितों की तर्ज पर एकमुश्त सुरक्षित स्थानों पर किया जाए।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार को आकलन टीमों की बजाय वैज्ञानिकों, भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीमें भेजनी चाहिए, ताकि भविष्य की आपदाओं के जोखिम का आकलन कर ठोस रणनीति तैयार हो सके।
कांग्रेस का कहना है कि केन्द्र सरकार को उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों की सुरक्षा को देखते हुए इन मांगों पर तत्काल निर्णय लेना चाहिए।



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