उत्तराखंड

बेरोजगार युवाओं की CBI जांच की मांग पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत का खुला समर्थन। बोले CBI जांच करने में बुराई क्या..  

आखिर सीबीआई जांच कराने में बुराई क्या है : त्रिवेन्द्र रावत”

रिपोर्ट / नीरज पाल। 

देहरादून। उत्तराखंड में बहुचर्चित यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले को लेकर युवाओं का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले छह दिनों से प्रदेश के कोने-कोने में प्रदर्शन जारी है, जहां परीक्षा रद्द करने और सीबीआई जांच की मांग पर युवा डटे हुए हैं। इस आंदोलन को अब पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी खुला समर्थन मिल गया है, जिसने धामी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।

सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को युवाओं की मांग को जायज ठहराते हुए बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, “इस समय युवा पेपर लीक को लेकर बेहद ज्यादा आक्रोशित हैं। उन्हें लगता है कि मुख्यमंत्री को खुद मामले में सीबीआई जांच करने की बात का भरोसा युवाओं को देना चाहिए।” उन्होंने साफ तौर पर कहा कि “सीबीआई जांच करने में कोई भी बुराई नहीं है। यदि सीबीआई जांच करने से युवाओं का भरोसा बनता है तो इस जांच के आदेश कर देने चाहिए।”

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गौरतलब है कि धामी सरकार ने रविवार को हुए पेपर लीक के विरोध में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी जांच बिठाई है, लेकिन आंदोलनरत युवा सिर्फ सीबीआई जांच की मांग पर अड़े हैं।

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स्वरोजगार पर भी दिया जोर

सांसद त्रिवेंद्र रावत ने इस मामले पर बोलते हुए सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकारें भले ही झूठ बोलकर सभी को सरकारी नौकरी देने की बात कहती हैं, लेकिन हकीकत यह है कि यह संभव नहीं है। इसलिए युवाओं को भी इस बात को समझना जरूरी है और स्वरोजगार की तरफ जाना चाहिए। उन्होंने सरकार को भी इसी दिशा में नीति बनाने की सलाह दी ताकि युवा नौकरी मांगने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनें।

धामी बोले थे- ‘भर्ती प्रक्रिया पर पड़ेगा असर’

त्रिवेंद्र रावत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर चुके हैं। सीएम धामी ने कहा था कि सीबीआई जांच की मांग करने से भर्ती प्रक्रिया पर असर पड़ेगा। उन्होंने आशंका जताई थी कि “कुछ लोग यही साजिश रच रहे हैं।” धामी सरकार का उद्देश्य पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ भर्ती करना है ताकि किसी भी युवा के साथ अन्याय न हो। हालांकि, पूर्व सीएम के इस समर्थन के बाद अब सरकार के लिए युवाओं के आक्रोश को शांत करना एक बड़ी चुनौती बन गया है।

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