- पौड़ी के नैल,धमेली,मंजकोट के उत्पादन से जुड़ेगा धाद का हरेला गाँव अभियान
- बाजार की मजबूत व्यवस्था के बिना पहाड़ी खेती का भविष्य मुश्किल : प्रगतिशील किसान चंद्रमोहन खर्कवाल
- पहाड़ी भोज के आयोजन कल्यो में लोगों ने चखा झंगोरे,चैंसू और खुष्का भात का स्वाद
धाद ने अपने हरेला कार्यक्रम को विस्तार देते हुए उसमे हरेला वन के साथ हरेला गाँव को प्रारम्भ किया है जिसमे उत्तरखंड हिमालय के गाँव से जुड़ते हुए उसकी हरियाली और उत्पादकता के लिए सामाजिक कार्यक्रम चलाय जाएंगे हरेला गाँव कार्यक्रम से जुड़ते हुए पौड़ी के कल्जीखाल ब्लॉक नैल धमेली के प्रधान ने उम्मीद जताई की कार्यक्रम उनके क्षेत्र के उत्पादन को सही मूल्य दिलवाने में सहायक सिद्ध होगा।
धाद द्वार फँची कार्यक्रम के अंतर्गत पहाड़ के समूह भोज कार्यक्रम कल्यो का आयोजन स्मृतिवन मालदेवता में हुआ जिसमे लोगों ने पहाड़ के पारम्परिक भोज के साथ पर्वतीय खेती के सामने चुनौतियों पर संवाद भी किया आयोजन में हरेला गाँव का परिचय दते हुए संस्था के सचिव तन्मय ने कहा हरेला गाँव का विचार उत्तराखंड हिमालय के उन सभी गाँव की हरियाली और खुशहाली के निमित्त पहल है जिसमे धाद ऐसे सभी गाँव के साथ जुड़कर उनकी बेहतरी के लिए काम करने की पहल करेगी।
हम गाँव के स्थानीय निवासियों और प्रवासियों के साथ मिलकर गाँव के उत्पादन तंत्र के विकास और विपणन में सहयोग करेंगे। उत्पादन तंत्र के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं और आधुनिक प्रयासों की जानकारी के साथ हरेला गाँव के उत्पादन को सही मूल्य और बाजार दिलवाने का सहयोग धाद की सहयोगी संस्था फँची सहकारिता के माध्यम से किया जाएगा।
पर्वतीय खेती की चुनौती के बाबत बात करते हुए प्रगतिशील किसान चंद्रमोहन ने कहा कि पहाड़ में उत्पादन को आज सही विपणन की जरूरत है ताकि उस सही कीमत मिल सके जिसके लिए एक मजबूत बाजार की व्यवस्था का निर्माण करना होगा पलायन की मार से जूझ रहे गाँव में स्थनीय खपत बहुत काम है और श्रमिकों का भी अभाव है इसलिए हमे अन्य बाजार तलशने पड़ते हैं जिसमे हम स्थानीय व्यपारियों के समक्ष बेहतर दाम नहीं मिल पाते हैं सरकारी योजनाओ में स्थानीय फीडबैक का समावेश काम होने के कारण उनका प्रभाव बहुत सीमित ही रहता है उन्होंने कहा की उत्तराखंड के बड़े शहर एक बड़ा बाजार है जहाँ अगर संगठित खरीद हो सके तो पहाड़ के उत्पादनशील गाँव को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
खुले सत्र में सामाजिक कार्यकर्ता उत्तम सिंह रावत ने पहाड़ी खेती को ऑर्गनिक प्रमाणपत्र जारी करने का सुझाव दिया वहीँ ट्रीज ऑफ दून के संयोजक हिमांशु आहूजा ने कहा की प्रोसेसिंग ही उसके वेस्टेज को बचा सकती है पिंडर घाटी के भूतपूर्व सैनिक राम चंद्र सती ने कहा की आज भी उनके क्षेत्र में उत्पादन बिना खरीद के खराब होने की स्थिति में है क्योंकि उसका सही मूल्य मिलने की कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है
सभा का धन्यवाद संस्था के उपाध्यक्ष डी सी नौटियाल द्वार दिया गया। इस अवसर पर तैयार किये गए भोज में उडद के पकोड़े, चने और हरे प्याज का “अदरकी फाणु”,इलायची सतरंगी “झंगौरा “,बडी़-दो-प्याजा,लहसुनिया ढबाडी रोटी, कच्चे हरे टमाटर की चटनी,आलू काखडी़ का रैला,पहाडी़ खुशका भात रहा जिसका आनंद सभी लोगों द्वारा लिया गया।
इस अवसर पर सुभाष ममगाईं साकेत रावत सुशील पुरोहित ब्रज मोहन उनियाल टी आर बारमोला शिव प्रसाद जोशी वीरेंदर खंडूरी अनुराधा खंडूरी वैष्णवी इंदु भूषण सकलानी रेनू नेगी आशा सती,नरेंद्र उनियाल,सविता जोशी,आशा डोभाल,गणेश चंद्र उनियाल,विनीता उनियाल आदि उपास्थित थे।
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