*शहीद केसरी चंद का 105 वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया*
उत्तराखंड के बलिदानी आजाद हिंद फौज के नायक अमर शहीद केसरी चंद की 105वीं जयंती गांधी पार्क, देहरादून में शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर मनाई गई है।
शहीद केसरी चन्द आजाद हिंद फौज में शामिल हो कर ब्रिटिश हकूमत को चुनौती दी थी। 03 मई 1945 को महज 24 साल 6 माह की उम्र में अंग्रेजों द्वारा सूली (फांसी) पर लटका दिए गए थे।
जंग-ए-आजादी के वीर सिपाही शहीद केसरी चंद का जन्म 01 नवंबर 1920 को जौनसार बावर के क्यावा गांव में हुआ था। आरंभिक शिक्षा उन्होंने विकासनगर में ग्रहण की थी। बाद में उन्होंने डीएवी कॉलेज में आगे की पढ़ाई की।
कहा जाता है कि केसरी चंद बचपन से ही बहुत निडर और बहादुर थे और खेलों में उनकी खासी दिलचस्पी थी। जहां उनमें एक ओर नेतृत्व का गुण था, वहीं वह एक सच्चे देशभक्त भी थे। स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी हमेशा अग्रणी भूमिका रही। 10 अप्रैल 1941 में वे रॉयल आर्मी सर्विस कोर में भर्ती हो गए। यह वह वक्त था जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। 29 अक्टूबर 1941 को केसरी चंद को मलाया में चल रहे युद्ध के दौरान मोर्चे पर तैनात किया गया था। इस दौरान उन्हें जापानी सेना ने बंदी बना लिया था।
बता दें कि केसरी चन्द नेताजी सुभाष चंद्र बोस से बेहद प्रभावित थे। यही कारण था कि वह आजाद हिंद सेना में भी शामिल हुए थे। अंग्रेजों से भिड़ंत के दौरान ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद वे दिल्ली कारागार में भेज दिए गए थे। इस दौरान ब्रिटिश राज्य के खिलाफ साजिश के आरोप में केसरी चंद को मोत की सजा दे दी गई।
3 मई 1945 को महज 24 साल की उम्र में उत्तराखंड के इस वीर सेनानी को फांसी पर लटका दिया गया था। शहीद केसरी चंद के स्मृति में प्रत्येक वर्ष 3 मई रामताल गार्डन चकराता में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जबकि कई वर्षों से देहरादून के शहीद केसरी चंद के जन्मोत्सव के अवसर पर गांधी पार्क देहरादून में उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाता है और दिन में खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन धूमधाम से संपन्न किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में जौनसार बावर के लोग एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित रहते हैं।
इस इस वर्ष शहीद केसरी चंद जी का जन्मोत्सव गांधी पार्क में उनकी प्रतिमा के सम्मुख मनाया गया इस अवसर पर वीर शहीद केसरी दिवस समिति के द्वारा आयोजित विराट सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न कलाकार उपस्थित रहे जिसमें वरिष्ठ लोक कलाकार सीताराम शर्मा द्वारा महासू वंदना एवं लोक परंपरागत जांगू गाकर लोक संस्कृति का परिचय दिया है।
इस अवसर पर युवाओं के चहेते लोक कलाकार नरेश बादशाह द्वारा ओ देवा मासु महाराज, दर्शानीये तेरे नजीर से, मेरा कर्मा, दिल दिया है जान भी देंगें आदि देशभक्ति गीत गए है। प्रदेश के वरिष्ठ लोक कलाकार धर्मेंद्र परमार द्वारा लोक संस्कृति की अनेक प्रस्तुतियां दी गई है उन्होंने अनेक गानों को गाकर शहीद केसरी चन्द को श्रद्धांजलि दी है।
धर्मेंद्र परमार स्वयं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार से है उन्होंने अनेक देशभक्ति गाने गाकर श्रोताओं को चूमने पर मजबूर कर दिया है। युवा कलाकार अनूप चांगटा द्वारा अनेक प्रस्तुतियां दी गई है जिसमें उन्होंने देश भक्ति गाने, तारा लाडीये मामा मौरसिंघा आदि गीत गाकर श्रोताओं का मनोरंजन किया है।
बाल लोक कलाकार दक्ष चौहान ने बामणी मामी, बाटा नाना, नए नए दक्ष रे गीत, देवा छात्रधारी, अनेक गाने गए हैं इसके अलावा जौनसार बाबर सांस्कृतिक लोक पौराणिक कला मंच लोहड़ी लोखंडी और लोक गायक सन्नी दयाल ने अनेक प्रस्तुतियां दी गई है।
इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष गंभीर सिंह चौहान ने कहा है कि देश के शहीदों से आने वाले पीढ़ी को प्रेरणाय लेनी चाहिए शहीद केसरी चंद मंत्र 24 वर्ष और 6 माह की आयु में ही इस देश के लिए कुर्बान हो गए हैं। अपने प्राणों को निछावर कर दिया है ऐसे बलिदानी से आज के युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
समिति के सचिव माधव सिंह चौहान ने कहा है कि आज जो कार्यक्रम गांधी पार्क में आयोजित किया गया है उसमें अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं जिसमें प्रदेश के विभिन्न लोक कलाकार एवं जनप्रतिनिधि शाहिद शाहिद को सच्ची श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं।
लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 इंफो उत्तराखंड के फेसबुक पेज से जुड़ें