आरएसएस संबंधी शासनादेश आत्मघाती: कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का बड़ा बयान
धामी सरकार का आत्मघाती कदम: आरएसएस कार्यक्रमों में सरकारी कर्मियों को छूट देने पर गरिमा दसौनी का तीखा प्रहार
खबर सार :- उत्तराखंड शासन द्वारा राज्य कर्मचारियों और अधिकारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों और शाखाओं में भाग लेने की अनुमति देने वाले शासनादेश को उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने आत्मघाती कदम करार दिया है।
दसौनी ने कहा कि यह निर्णय भाजपा के संविधान में विश्वास की कमी को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि संविधान में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अधिकार स्पष्ट रूप से विभाजित किए गए हैं। ऐसे में आरएसएस कितना सामाजिक संगठन है और कितना राजनीतिक, यह एक अलग बहस का विषय है, लेकिन सरकारी सेवा नियमावली के अनुसार कर्मचारी और अधिकारी किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते।
दसौनी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस शासनादेश से सरकारी कर्मचारियों को सेवा नियमावली के बंधनों से मुक्त कर दिया गया है, जो धामी सरकार के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। अब कोई भी कर्मचारी या अधिकारी अपने कार्यस्थल से अनुपस्थित होने पर यह कह सकता है कि वह आरएसएस के किसी कार्यक्रम में शामिल था। उन्होंने कहा कि पहले ही कई जनप्रतिनिधि कार्यपालिका की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं, और इस शासनादेश के बाद कर्मचारी और अधिकारी और भी बेलगाम हो जाएंगे।
दसौनी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकारी कर्मचारियों को अपना नया वोट बैंक बनाना चाहती है, क्योंकि पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट आई है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आदेश मुख्यमंत्री के दिल्ली स्थित आकाओं को खुश करने के प्रयास का हिस्सा हो सकता है।
गरिमा मेहरा दसौनी ने चेतावनी दी कि यह शासनादेश प्रदेश की अराजकता को बढ़ावा देगा और कार्यपालिका को नियंत्रित करना कठिन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा अब सरकारी कर्मचारियों को अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए इस्तेमाल कर रही है, जिसका भविष्य में गंभीर परिणाम हो सकता है।
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