उत्तराखंड

राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए स्वायत्तता तथा जवाबदेही दोनों ही जरूरी: राज्यपाल

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हल्द्वानी/इन्फो उत्तराखंड 

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से नि) गुरमीत सिंह ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए स्वायत्तता तथा जवाबदेही दोनों ही जरूरी है। हमें उत्तरदायित्व से भी आगे बढ़कर स्व-उत्तरदायित्व की ओर जाना है। आत्मानुशासन बहुत जरूरी है। हमें अपने सिस्टम को इतना मजबूत बनाना है कि उसमें लीकेज के लिए कोई जगह न बचे।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि) गुरमीत सिंह, मंगलवार को हल्द्वानी में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री डा. धन सिंह रावत भी उपस्थित थे। अतिथियों द्वारा वैदिक मत्रों के बीच दीप प्रज्जलित कर दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ किया गया।

राज्यपाल ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के छठे दीक्षांत समारोह के अवसर पर 44 मेधावी छात्र छात्राओं को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। राज्यपाल ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि विद्यार्थी अपने सोच विचार का स्तर बढ़ाएं, स्वयं पर भरोसा रखें, साथ ही टीम वर्क में विश्वास रखें। सभी युवाओं से अपील की कि भारतीय संविधान में बताए हुए मौलिक कर्तव्य को पढ़े, समझे और उनका पालन करें।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का अर्जित ज्ञान तभी सार्थक होगा जब इसका लाभ समाज को मिलेगा, आत्मनिर्भर भारत, स्वच्छ भारत, डिजिटल भारत, समृद्ध भारत जैसे राष्ट्रीय अभियानों को सफल बनाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

राज्यपाल ने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय की व्यवस्था एक लचीली, सरल और  सुगम व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि सर्वे के अनुसार देश में उच्च शिक्षा के कुल पंजीकरण में 10 प्रतिशत से अधिक डिस्टेंस एजुकेशन का है। यह शिक्षा पद्धती शिक्षा प्राप्त करने का आदर्श माध्यम है। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौर ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया है। ऑनलाइन और डिजिटल एजुकेशन का प्रचलन बढ़ गया है, आज यह हमारी जरूरत बन गई है, इससे मुक्त विश्वविद्यालय की अवधारणा को और भी अधिक मजबूती मिली है। शिक्षा तंत्र को डिजिटल और वर्चुअल मोड पर और भी अधिक मजबूत बनाने के लिए कार्य करना होगा। उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए इसे राज्य के हर कोने तक पहुंचाना होगा।

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राज्यपाल ने कहा कि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के दूरदराज इलाकों में डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से उच्च शिक्षा पहुंचाने का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है। उत्तराखंड के पर्वतीय तथा सीमांत क्षेत्रों के लिए डिस्टेंस एजुकेशन एक वरदान है।

राज्यपाल ने कहा कि डिस्टेंस एजुकेशन का पाठ्यक्रम नवीनतम, अद्यतन, प्रभावी तथा प्रासंगिक होना जरूरी है, पाठ्य सामग्री उच्च स्तरीय ज्ञान, गुणवत्तापूर्ण व बेहद सरल भाषा में होनी चाहिए।

इस अवसर पर राज्यपाल ने सच्चिदानंद भारती तथा प्रसिद्ध फोटोग्राफर अनूप शाह को मानद उपाधि से सम्मानित किया। राज्यपाल ने कहा कि सच्चिदानंद भारती राज्य में रिवर्स माइग्रेशन, वन तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए सराहनीय कार्य कर रहे हैं।

रिवर्स माइग्रेशन उत्तराखंड के लिए ज्वलंत मुद्दा है। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध फोटोग्राफर अनूप शाह ने अपनी उत्कृष्ट फोटोग्राफी के माध्यम से उत्तराखंड के संस्कृति, परंपराओं और प्राकृतिक सुंदरता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उन्हें सम्मानित करके मैं स्वयं गर्व का अनुभव कर रहा हूं। उन्होने सभी पदक विजेताओं को बधाई देते हुए सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं दी व शुभ समृद्धि कामना की।

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मुख्यमंत्री ने सभी पदक विजेताओ को बधाई देते हुए कहा कि मै इस छठे दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर गौरव का अनुभव कर रहा हूॅ। उन्होंने कहा कि 21 वी सदी की आवश्यकताओं को देखते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का उद्देश्य चिन्तशील बहुमुखी प्रतिभाव वाले रचनात्मक व्यक्तियों का विकास करना होना चाहिए। व्यक्तियों की समग्र विकास के उद्देश्य के लिए यह आवश्यक है कि विद्यालय शिक्षा से उच्चतर शिक्षा तक सिखने के प्रत्येक चरण में कौशल और मूल्यों का एक निधारित प्रारूप शामिल हो। इस दिशा में केन्द्र सरकार निरन्तर कार्यरत रही है। उन्होंने कहा भारत विश्व का गुरू रहा है गुरू -शिष्य व गुरूकुल की परम्परा सिर्फ भारत में है। विश्व को शिक्षा पद्धति व ज्ञान देने का काम भारत ने किया है।

श्री धामी ने  कहा कि वर्तमान अच्छा होगा तो निश्चित ही भविष्य भी अच्छा होगा। इसलिए वर्तममान को सक्षम बनाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में नई खेल नीति बनाई गई है अब किसी भी बच्चे में योग्यता व क्षमता है तो उन्हे सरकार हर तरह से सहायता करेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का दशक है जब प्रदेश 25 वर्ष का होगा अपने रजत जयन्ती बना रहा होगा, तब हमारा प्रदेश देश में अग्रणी प्रदेश होगा। उन्होंने कहा कि मुक्त विश्व विद्यालय में आईटी अकादमी को विकसित करने में पूर्ण सहयोग दिया जाएगा तथा देहरादून में भी मुक्त विश्व विद्यालय का भी सशक्त परिसर बनाने में सरकार द्वारा पूर्ण सहयोग दिया जाएगा।

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उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दीक्षा समारोह में सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से बनाई गई नई शिक्षा नीति में सबको अच्छी शिक्षा, रोजगार परख शिक्षा, क्रेडिट बेस शिक्षा, चॉईस बेस शिक्षा, गुणात्मक शिक्षा को प्रमुखता दी गई है। मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में बच्चो को टेबलेट देने की घोषणा की थी, जिसका जीओ हो गया है, जनवरी में टेबलेट की धनराशि डीबीटी के माध्यम से बच्चों के खाते डाले जायेंगे। बच्चे अपने पसंद अनुसार खरीद सकेंगे। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत व अभिनन्दन किया।

कुलपति ओपी एस नेगी ने विस्तृत रूप से मुक्त विश्व विद्यालय के पाठ्यक्रमों, क्रियाकलापों की विस्तृत जानकारियां दी। उन्होने बताया कि इन दीक्षांत समारोह में 36 स्नातकों एंव परास्नातकों को स्वर्ण पदक, 3 को कुलाधिपति स्वर्ण पदक व 3 को स्मृति पदक के साथ ही 28432 को पदक वितरित किये गए। उन्होंने बताया कि मुक्त विश्व विद्यालय में सरकार के सहयोग से 26 करोड़ धनराशि से अधिक के निर्माण कार्य प्रगति पर है।

कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, महापौर डॉ. जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला, विधायक नवीन दुम्का, उपाध्यक्ष जिला पंचायत आनंद सिंह दरम्वाल, जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत, प्रकाश हर्बोला, शंकर कोरोंगा,अनिल कपूर डब्बू, सहित मण्डलायुक्त दीपक रावत, डीआईजी निलेश आनन्द भरणे, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट, मुख्य विकास अधिकारी डॉ. संदीप तिवारी, कुलसचिव प्रो. एचएस नयाल, प्रो. गिरजा पाण्डे, प्रो. पीडी पंत, प्रो. जितेन्द्र पाण्डे,प्रो. रेनू प्रकाश, प्रो. आसी मिश्र सहित छात्र-छात्राएं मौजूद थी।

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