मूल निवासियों की पहचान और संसाधनों की सुरक्षा के लिए संघर्ष तेज, 29 सितंबर को ऋषिकेश में विशाल महारैली का आयोजन
ऋषिकेश: उत्तराखंड में मूल निवासियों की पहचान, संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए संघर्ष लगातार तेज हो रहा है। इसी क्रम में ‘मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति, उत्तराखंड’ के नेतृत्व में आगामी 29 सितंबर को ऋषिकेश में एक विशाल ‘मूल निवास स्वाभिमान महारैली’ का आयोजन किया जा रहा है। इस रैली का उद्देश्य प्रदेश के मूल निवासियों को उनके अधिकार दिलाने, कमजोर भू-कानून के खिलाफ आवाज उठाने और बढ़ते नशे व अपराध के खिलाफ कार्रवाई की मांग करना है।
प्रदेश में बढ़ते बाहरी हस्तक्षेप और कमजोर भू-कानून की वजह से यहां के निवासियों की पहचान और अस्तित्व खतरे में आ चुका है। प्रदेश के आर्थिक संसाधनों पर बाहरी लोगों का कब्जा होता जा रहा है, जिससे स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर कम होते जा रहे हैं। बाहरी लोग न केवल सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, बल्कि स्थानीय जमीनों पर भी अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, उत्तराखंड में बाहरी राज्यों से लगभग पचास लाख लोग आ चुके हैं, जिनमें से अधिकतर ने फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवा लिए हैं। इसके चलते वे सरकारी नौकरी, योजनाओं और जमीनों पर आसानी से कब्जा जमा रहे हैं।
समिति की मांग है कि प्रदेश के मूल निवासियों का चिन्हीकरण 1950 के आधार पर किया जाए और सरकारी नौकरियों, योजनाओं और रोजगार के 90% अवसर मूल निवासियों के लिए आरक्षित किए जाएं। इसके अलावा, कमजोर भू-कानून के कारण बाहरी पूंजीपतियों द्वारा जमीनों की खरीद पर भी रोक लगाने की मांग की जा रही है। समिति का कहना है कि कृषि भूमि बचाने और स्थानीय लोगों को मालिकाना हक दिलाने के लिए हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों की तरह सशक्त भू-कानून लागू किया जाए।
ऋषिकेश और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बढ़ते नशे और अपराध की भी समिति ने कड़ी निंदा की है। स्थानीय निवासियों पर हो रहे हमले और अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। समिति ने यह भी कहा कि अगर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो भविष्य में यहां के मूल निवासी अपनी ही जन्मभूमि में अल्पसंख्यक बन जाएंगे।
संघर्ष समिति ने पिछले कुछ महीनों में कई महत्वपूर्ण रैलियों का आयोजन किया है। 24 दिसंबर 2023 को देहरादून में एक विशाल महारैली का आयोजन किया गया था, जिसके बाद 28 जनवरी 2024 को कुमाऊं के हल्द्वानी में भी महारैली सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इसके बाद अल्मोड़ा के भिकियासैंण, टिहरी, कोटद्वार, श्रीनगर और गैरसैंण में भी कई कार्यक्रम हुए। इसी क्रम में अब 29 सितंबर को ऋषिकेश में यह महारैली आयोजित हो रही है, जिसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों से हजारों लोगों की भागीदारी की उम्मीद है।
कल इसी उद्देश्य के तहत नवल पुंडीर, नर्सिंग अधिकारी, द्वारा राजीव गांधी स्टेडियम में पैम्पलेट बांटे गए और लोगों से इस महारैली में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने का आग्रह किया गया।
ऋषिकेश की यह महारैली न केवल मूल निवासियों के हक की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम होगी, बल्कि इससे प्रदेश में नशे और अपराध के खिलाफ भी एक मजबूत संदेश जाएगा।
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