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सपनों में रख आस्था कर्म तू किए जा त्याग से ना डर आलस परित्याग किए जा।।
गलती कर ना घबरा गिरकर फिर हो जा खड़ा।।
समस्याओं को रास्तों से निकाल दे, चट्टान भी हो तो ठोकर से उछाल दे।।
रख हिम्मत तूफानों से टकराने की, जरूरत नही है किसी मुसीबत से घबराने की ।।
जो पाना है बस उसकी एक पागल की तरह चाहत कर, करता रह कर्म मगर साथ में खुदा की इबाबत भी कर।।
फिर देख किस्मत क्या क्या रंग दिखलाएगी तुझको तेरी मंजिल मिल जाएगी, मंजिल मिल जाएगी।।
यह कविता उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी कुशाग्र पर सटीक बैठती है, जिन्होंने कड़ी मेहनत करके उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का भी नाम रोशन किया है, साथ ही अपने मां बाप का भी सपना पूरा किया है।
बता दूं कि हल्द्वानी के पीलीकोठी निवासी कुशाग्र दुर्गापाल ने कड़ी मेहनत कर एनडीए परीक्षा में आल इंडिया दूसरी रैंक प्राप्त की है, उन्होंने अपने क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का भी नाम रोशन किया है।
कुशाग्र की इस उपलब्धि पर परिजनों और क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर है। साथ ही बधाई देने वालों का उनके घर पर तांता लगा हुआ है।
कुशाग्र ने इंफो उत्तराखंड को बताया कि उन्होंने आठवीं तक की पढ़ाई निर्मला कॉन्वेंट स्कूल से पूरी की। और नवीं से 12वीं की पढ़ाई सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से की।
कुशाग्र के पिता ललित मोहन दुर्गापाल व्यवसायी और माता ललिता दुर्गापाल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। कुशाग्र की बहन कौशाम्बी दुर्गापाल वनस्थली राजस्थान से बीए, बीएड कत्थक की पढ़ाई करती हैं। कुशाग्र ने अपनी सफलता का श्रेय गुरुजनों, माता-पिता और बड़ी बहन को दिया है।
कुशाग्र ने इंफो उत्तराखंड को आगे बताया कि वे सैनिक स्कूल में उन्हें वह माहौल मिला जिससे वह अपने लक्ष्य को पूरा कर पाए। कक्षा 12 वीं में एकेडमिक कैप्टन भी रहे। हॉकी, बैडमिंटन और फुटबॉल में भी उनकी रुचि है।
10 वीं में कुशाग्र ने लॉकडाउन के दौरान नेशनल टेलेंट सर्च एक्सीलेंस (एनटीएसई) की तैयारी की। पहली राज्य स्तरीय टेस्ट में उन्हें राज्य में तीसरी रैंक प्राप्त की। इसके बाद 11 वीं में सेकेंड स्टेज की परीक्षा में नेशनल स्तर पर भी मेरिट हासिल की।
कुशाग्र ने बताया एनसीईआरटी की ओर से कराई जाने वाली एनटीएसई परीक्षा में उन्हें स्कॉलरशिप मिलनी चाहिए थी जो नहीं मिली।
संदेश :-
कुशाग्र ने युवाओं को संदेश दिया है कि अगर जीवन में कोई लक्ष्य हो तो उस पर मेहनत कर सपने लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छोटे लक्ष्य बनाएं। वार्षिक लक्ष्य बनाकर उनको हासिल करें तो बड़े लक्ष्य में भी सफलता जरूर मिलेगी।
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