उत्तराखंड

मैं ही जोशीमठ हूँ…भू-धसांव की वजह से अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हूं, हो सके तो जमींदोज होने से बचा लीजिए सरकार : चौहान 

मैं ही जोशीमठ हूँ—भू-धसांव की वजह से अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हूं, हो सके तो जमींदोज होने से बचा लीजिए सरकार : चौहान 

संजय चौहान/इंफो उत्तराखंड 

मैं जोशीमठ हूँ। शंकराचार्य की तपोस्थली ज्योतिर्मठ। सीमांत जनपद चमोली का सरहदी ब्लाॅक। विश्व प्रसिद्ध हिम क्रीडा स्थल औली, आस्था का सर्वोच्च धाम बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब और रंग बदलने वाली फूलों की घाटी का प्रवेश द्वार में ही हूं।

देश की द्वितीय रक्षा पंक्ति नीती माणा घाटी मेरे ही नगर से होकर जाया जाता है। हर साल देश विदेश से लाखों-लाख तीर्थयात्री और पर्यटक यहां पहुंचते है। मैं चिपको आंदोलन की नेत्री गौरा देवी की थाती हूं। पंच प्रयाग में से प्रथम प्रयाग मेरे ही मुहाने पर धौली गंगा और अलकनंदा का संगम विष्णुप्रयाग अव्यवस्थित है।

एशिया का सबसे लम्बा रज्जू मार्ग मेरे ही नगर के ऊपर से गुजरता है। मैं भगवान बदरीविशाल का शीतकालीन गद्दी स्थल हूं। मेरे पौराणिक नृसिंह मंदिर में 6 महीने भगवान बदरीविशाल की पूजा होती है। मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष बदरीविशाल के कपाट खुलने से पहले पौराणिक तिमुंडिया कौथिग का आयोजन होता है।

मैं महज एक नगर ही नहीं हूं, अपितु धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र भी हूं। मैं गढ़वाल के कत्यूरी राजवंश की राजधानी भी रही हूं। मैं बरसों से सैलानियों की पहली पसंदीदा शहर रहा हूं।

लेकिन इन सबसे इतर आज मैं अपनी ही पहचान के लिए छटपटाहट सी महसूस कर रहा हूं। भू-धसाव की वजह से मेरे भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। मेरे शहर के विभिन्न वार्डो में हो रहे भू-धसाव नें मेरे शहर की खुशियाँ छीन ली है। मकानों में पडी दरारों नें मेरे नगरवासियों का सुख चैन छीन लिया है।

यह भी पढ़ें 👉  चीन सीमा के पास पिथौरागढ़ में दरकी पहाड़ी, मुनस्यारी-मिलम घाटी का संपर्क टूटा

लोगों के आंसुओ से बह रही अविरल आंसुओ की धारा सबकुछ बंया करने के लिए काफी है। चारों ओर एक अजीब सा सन्नाटा कचोट रहा है। अपने जीवनभर की मेहनत की कमाई को अपने घर बार और मकान में लगाने के बाद आज इनके घर सुरक्षित नहीं रह गये हैं।

खेत खलियान से लेकर मकान सबकुछ भू-धसाव की चपेट में आ चुके हैं। भू-धसांव के कारण मेरे नगर के वाशिंदे अब पौष माह की इन सर्द/ठंड रातों में अपने भविष्य को लेकर आशांकित है। मेरे शहर के लोगों के माथे पर पडी चिंता की लकीरें, बेबस व लाचार आंखे बेहद पीड़ादायक है।

संजय ने “इंफो उत्तराखंड” से कहा कि शंकराचार्य के पौराणिक ज्योतिर्मठ में भी भू धसांव की दरारें उभर आई है। बस भगवान बदरीविशाल से प्रार्थना है कि किसी तरह मेरे इस शहर को बचा लीजिए।

मेरे शहर के लोगो लंबे समय से जोशीमठ को भू-धसाव से बचाने की मांग करते आ रहे हैं। वर्ष 1976 में तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर एमसी मिश्रा की अध्यक्षता वाली समिति ने भी भूस्खलन को लेकर एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें जोशीमठ पर खतरे का जिक्र किया गया था। लेकिन कभी भी इस दिशा में ठोस व गंभीर प्रयास नहीं किये गये।

मैं ग्लेशियर द्वारा लाई गई मिट्टी पर बसा हुआ शहर हूं। मैं भूगर्भीय रूप से अतिसंवेदनशील जोन-5 के अंतर्गत आता हूं। जो कि पूर्व-पश्चिम में चलने वाली रिज पर मौजूद है। फिर भी मेरे शहर में जलविद्युत परियोजना निर्माण को मंजूरी दी गयी।

यह भी पढ़ें 👉  राजपुर में रॉटवीलर ने बुजुर्ग महिला पर किया जानलेवा हमला, कुत्तों का मालिक पुलिस हिरासत में।

संजय ने ”इंफो उत्तराखंड” से आगे कहा कि 1970 की धौली गंगा में आई बाढ नें पाताल गंगा, हेलंग से लेकर ढाक नाला तक के बडे भू-भाग क्षेत्र को हिलाकर रख दिया था, जिसके बाद 2013 की केदारनाथ आपदा और फरवरी 2021 की रैणी आपदा नें तपोवन से लेकर विष्णुप्रयाग के संगम को बहुत नुकसान पहुंचाया है, नदी किनारे कटाव बढने से भी भूस्खलन को बढावा मिला है जबकि मेरे शहर के नीचे से होकर एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड परियोजना की सुरंग निर्माणाधीन है।

जो भू-धसाव के लिए सबसे बडा कारण माना जा रहा है। पूर्व के बरसों में हेलंग से लेकर पैनी गांव, सेलंग गांव में भू-धसाव की घटना सामने आ चुकी है। भू-धसाव से मेरे शहर के गांधी नगर, मारवाड़ी, लोअर बाजार नृसिंह मंदिर, सिंहधार में, मनोहर बाग, अपर बाजार डाडों, सुनील, परसारी, रविग्राम, जेपी कॉलोनी, विष्णुप्रयाग, क्षेत्र अधिक प्रभावित हैं।

बस जैसे भी हो सके मेरे इस शहर को बचा लीजिए। नहीं तो भू धसांव से मेरा भूगोल ही नहीं इतिहास भी सदा के लिए इतिहास के पन्नो में सिमट कर रह जायेगा। मेरे शहर को भू-धसाव से बचाने के लिए सरकार से लेकर शासन प्रशासन अपनी अपनी ओर से हरसंभव प्रयास में जुट चुके हैं।

प्रभावित लोगो को राहत शिविरो में भेजा जा रहा है, प्रभावित मकानो के सर्वे के लिए टीमें गठित कर दी गयी है, विशेषज्ञों की टीमें भी पहुंच चुकी है, जो भू धसांव का आंकलन कर रही है और कारणों का पता लगा रही है। सबसे अच्छी बात प्रकृति का भी मुझे साथ मिला है वरना आजकल मेरा पूरा शहर बर्फ से अटा पडा रहता।

यह भी पढ़ें 👉  बड़ी खबर : देहरादून की 200 बीघा वन भूमि पर अवैध कब्जा! राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने किया बड़ा खुलासा

इसलिए कोशिश की जानी चाहिए की जितनी जल्दी हो सके फौरी तौर पर लोगों को सुरक्षित ठौर पर पहुंचाया जाय और लोगों के पुनर्वास/विस्थापन को लेकर ठोस कार्रवाई अमल में लाई जाय। मेरे इस शहर को बचाने के लिए हर वो मुमकिन कोशिश की जानी चाहिए जो की जा जा सकती है।

संकट की इस घडी में आप सब नगर वासियों ने जो एकजुटता दिखाई है वो सुकून देने वाली है, खासतौर पर युवाओं का अपने इस शहर को बचाने की कोशिश इतिहास हमेशा याद रखेगा और मिसालें भी देता रहेगा।

मैं जोशीमठ हूँ, मेरे शहरवासियों हौंसला रखिए। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर जोशीमठ को बचाने के लिए हर वो प्रयास कीजिए जो हो सकता है। भगवान बद्रीविशाल की कृपा से इस शहर पर जो संकट के बादल मंडरा रहें हैं जल्द ही सबकुछ सही होगा। घना अंधेरा के बाद जरूर उजाले का सूरज उगेगा…

संजय ने कहा कि अगर इस न्यूज़ के माध्यम से हमारी बात सरकार तक पहुंचती है, तो हम इंफो उत्तराखंड न्यूज़ पोर्टल के हमेशा आभारी रहेंगे। 

Ad
"सूचीबद्ध न्यूज़ पोर्टल"

सूचना एवं लोक संपर्क विभाग, देहरादून द्वारा सूचीबद्ध न्यूज़ पोर्टल "इंफो उत्तराखंड" (infouttarakhand.com) का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड सत्य की कसौटी पर शत-प्रतिशत खरा उतरना है। इसके अलावा प्रमाणिक खबरों से अपने पाठकों को रुबरु कराने का प्रयास है।

About

“इन्फो उत्तराखंड” (infouttarakhand.com) प्रदेश में अपने पाठकों के बीच सर्वाधिक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है। इसमें उत्तराखंड से लेकर प्रदेश की हर एक छोटी- बड़ी खबरें प्रकाशित कर प्रसारित की जाती है।

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित में सदुपयोग सुनिश्चित करना भी आपने आप में चुनौती बन रहा है। लोग “फेक न्यूज” को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, और सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास लगातार कर रहे हैं। हालांकि यही लोग कंटेंट और फोटो- वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में लगातार सेंध लगा रहे हैं।

“इंफो उत्तराखंड” (infouttarakhand.com) इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उतर रहा है, कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं। ताकि समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम अपने उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें। यदि आप भी “इन्फो उत्तराखंड” (infouttarakhand.com) के व्हाट्सऐप व ईमेल के माध्यम से जुड़ना चाहते हैं, तो संपर्क कर सकते हैं।

Contact Info

INFO UTTARAKHAND
Editor: Neeraj Pal
Email: [email protected]
Phone: 9368826960
Address: I Block – 291, Nehru Colony Dehradun
Website: www.infouttarakhand.com

To Top