“गणित को भय नहीं, मित्र बनाइए”: उत्तराखंड के हरिमोहन ऐंठानी की प्रेरक कहानी, जिन्होंने पहाड़ से रचा गणितीय इतिहास
बागेश्वर (उत्तराखंड)। जहां अधिकतर विद्यार्थी गणित का नाम सुनते ही घबरा जाते हैं, वहीं उत्तराखंड के एक छोटे से गांव ऐठान (कपकोट) के रहने वाले हरिमोहन सिंह ऐंठानी इस विषय को लोगों का सबसे अच्छा मित्र बनाना चाहते हैं। उनका मानना है कि गणित केवल एक विषय नहीं, बल्कि एक ऐसा तर्कशील साधन है जो जीवन की हर छोटी-बड़ी पहेली को हल करने में मदद करता है।
हरिमोहन ऐंठानी, जो मूलतः एक सामान्य परिवार से आते हैं, आज गणित की दुनिया में एक चमकता हुआ सितारा बन चुके हैं। उन्होंने बिना किसी पीएचडी डिग्री और बिना किसी विशेष मार्गदर्शन के, वो कर दिखाया है जो बड़े-बड़े शोधकर्ता भी सोच नहीं पाते।
गणित को बनाया बच्चों का साथी
हरिमोहन सिंह ऐंठानी कई वर्षों से सोशल मीडिया के माध्यम से हर रोज अपने स्वनिर्मित गणितीय ट्रिक्स, रीजनिंग तकनीकें और शॉर्टकट्स शेयर करते हैं। उनके द्वारा तैयार की गई ये विधियाँ प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से बेहद कारगर साबित हो रही हैं, क्योंकि वे कठिन से कठिन प्रश्नों को चुटकियों में हल करने का तरीका सिखाते हैं।
उनकी सादगी और समर्पण के कारण ही राज्य के DIET, जवाहर नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय और अन्य संस्थानों में उन्हें गणित विशेषज्ञ, रिसोर्स पर्सन और वक्ता के रूप में बुलाया जाता है।
विश्व रिकॉर्ड की झड़ी
हरिमोहन ने अब तक गणित के क्षेत्र में 40 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड, मैथ जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड, यूनिवर्सल रिकॉर्ड फोरम, एवरेस्ट बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने उन्हें सम्मानित किया है।
वर्ष 2009 में उन्होंने बिना किसी इलेक्ट्रॉनिक सहायता के, 13 किलोग्राम वजनी एक पुस्तक तैयार की, जिसमें 450 चार्ट पेपर पर 48000 से अधिक मैजिक स्क्वेयर अपने हाथों से लिखे। इसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया।
हाल ही में उनके दो गणितीय शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं, जिनमें से एक संख्या सिद्धांत पर आधारित है, जिसका समाधान इन्होंने मात्र 15 दिनों में खोज निकाला।
रामानुजन को मानते हैं आदर्श
भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन से प्रेरित हरिमोहन कहते हैं कि गणित डरने का नहीं, समझने और अपनाने का विषय है। यह विषय बुद्धि, विवेक और तर्क की धार को पैना करता है। उनका उद्देश्य है कि देश के दूरदराज इलाकों के बच्चे भी गणित को एक आसान और आनंददायक विषय मानें।
हर युवा के लिए संदेश
हरिमोहन का कहना है, “कुछ बड़ा करने के लिए डिग्री नहीं, जिज्ञासा, आत्मविश्वास, लगन और अनुशासन चाहिए। जीवन को दिशा देने के लिए नैतिक मूल्यों से बड़ा कोई रास्ता नहीं।”
एक प्रेरक उदाहरण
एक पिछड़े क्षेत्र से निकलकर, बिना संसाधनों के, बिना किसी संस्थागत सहयोग के, केवल आत्मबल और मेहनत के दम पर विश्व स्तर पर पहचान बनाना कोई आम बात नहीं। हरिमोहन ऐंठानी आज के युवाओं के लिए न सिर्फ प्रेरणा हैं, बल्कि यह प्रमाण भी हैं कि जुनून और समर्पण हो तो कोई भी पहाड़ चढ़ा जा सकता है — और गणित का नाम सुनते ही डरने की जरूरत नहीं, बल्कि मुस्कराने की जरूरत है।


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